Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बेटियों के लिए मुक्तक

 

 

  • लाख आईं जब रूकावट कब रुकी हैं बेटियाँ |
    ज़िन्दगी से कब गिला करतीं मिली हैं बेटियाँ |
    रोकने को लाख पत्थर राह में डाले मगर |
    एक शीतल धार सी बहती नदी हैं बेटियाँ ||

     

  • सख्त पहरा है मिला जो बेटियों को |
    न्याय बहरा है मिला जो बेटियों को |
    पीर पर उनकी नहीं है ध्यान क्योंकर |
    ज़ख्म गहरा है मिला जो बेटियों को ||

     

  • ज़ख्म का हर एक मरहम बेटियाँ |
    सोचिये अब हैं कहाँ कम बेटियाँ |
    आइये हम सब यहाँ इतना करें |
    अब न पायें कोई भी गम बेटियाँ ||

 

  • बंदगी बेटियां , आरती बेटियाँ |
    धन कि किंचित नहीं लालची बेटियाँ |
    प्यार ही चाहतीं बस विरासत में ये |
    प्यार की जौहरी , पारखी बेटियाँ ||

 

  • डर गईं खुद कि बढ़ी परछाइयों से बेटियां |
    लड़ रहीं हैं रोज ही तन्हाइयों से बेटियां |
    गढ़ गयीं वो शर्म से खामोश लव चेहरा उदास |
    बाप की छोटी बड़ी रुसवाइयों से बेटियां ||

 

  • चाहतीं है आपका बस नेह बेटियाँ |
    आप पर करतीं कहाँ संदेह बेटियाँ |
    मौत के अंतिम क्षणों में दूर देश में |
    भूल कब पातीं है अपना गेह बेटियाँ ||

 

  • बेटियाँ गिरजा शिवाला इस सदी में |
    त्याग कि हैं पाठशाला इस सदी में |
    बन रहीं हैं बेटियाँ फिर आजकल क्यूं |
    मौत का निर्मम निवाला इस सदी में ||

 

  • आपके जो शब्द नफरत में सने हैं |
    बेटियों के भाव देखो अनमने हैं |
    आप अपनी असलियत भी देख लीजे |
    बेटियाँ घर को मिलीं ज्यों आइने हैं |

 

  • बेटियाँ निश्छल हमेशा ही रहीं हैं |
    शुद्ध गंगाजल हमेशा ही रहीं हैं |
    कुछ कहो पर बेटियाँ माँ -बाप की तो |
    आँख का काजल हमेशा ही रहीं हैं ||

 

  • बेटियाँ ज्यों आ रही महकी हवाएँ |
    बेटियाँ ज्यों सामने चहकी दिशाएँ |
    कैद फिर वो चारदीवारी में क्यों हैं |
    पूछतीं हैं बेटियाँ कुछ तो बताएं ||

 

  • आजकल हैं बेकली में बेटियाँ क्यों |
    प्यार कि विरूदावली में बेटियाँ क्यों |
    भ्रूण हत्या "ओ" दहेजी भेडियों से |
    मौत कि अंधी गली में बेटियाँ क्यों ||

 

  • बेटियाँ ज़िन्दगी की नयी भोर हैं |
    ओम गुंजार हैं ये नहीं शोर हैं |
    बेटियों के लिए सोच ये छोडिये |
    बेटियाँ बोझ हैं या कि कमजोर हैं |

 

  • बेटियाँ तो सदा आपके साथ हैं |
    आपका गर्व ,ऊँचा उठा माथ हैं |
    जानकर के पराई न ठुकराइए |
    बेटियाँ आपकी आँख है हाथ है ||

 

  • आ गईं घर में हमारे प्यार बनकर |
    चाहतीं जीना गले का हार बनकर |
    जीत की हक़दार वो खुद ही बनी पर |
    जी रहीं क्यों बेटियाँ दुत्कार बनकर ||

 

  • प्यार के गीत की लेखनी बेटियाँ |
    चाँदनी रात में चाँदनी बेटियाँ |
    पास कोई न हो पुत्र भी मित्र भी |
    उस अँधेरे में हैं रोशनी बेटियाँ ||

 

 

  • कर रहीं मन पर लगी हर टीस को स्वीकार भी |
    बेटियाँ ही कर सकीं हैं पीर का श्रृंगार भी|
    पालिए इनको जतन से भाग्य हैं ये आपका |
    टूटकर करतीं हैं पल पल आपसे ये प्यार भी ||

 

  • बेटियाँ अधरों पे मानो इक दुआ हैं ।
    आपकी बैचेनियों की इक दवा हैं ।
    दे रहा स्पर्श इनका इक सुकूँ सा ।
    बेटियाँ बहती हुई शीतल हवा हैं ।।

 

  • आपकी ताकत बड़ी है बेटियों से |
    आपकी हिम्मत बड़ी है बेटियों से |
    एक दिन पर आप भी यह कह उठेंगे |
    कौन सी दौलत बड़ी है बेटियों से ||

 

  • दर्द में हुंकार बनकर आ गयीं है बेटियाँ |
    धार में तलवार बनकर आ गयीं हैं बेटियाँ |
    जुल्म से लड़ने की खातिर था बदलना ही उन्हें |
    देखिये ललकार बनकर आ गयीं हैं बेटियाँ ||

 

 

  • बेटियाँ जब मुस्कुराएँ पितृ गर्वित हों |
    बेटियाँ जब गुनगुनाएं देव हर्षित हों |
    जिस किसी घर में जन्म लेले अगर बेटी |
    चुक गए सदियों से उसके पुण्य अर्जित हों ||

 

  • है अगर बेटी तो घर में संतुलन है |
    क्योकि वो प्रभु से मिला सुन्दर सृजन है |
    प्रेम की उसने कहाँ दी है परीक्षा |
    प्रेम के रस में पगी वो आदतन है ||

 

  • एक कोमल लता आपकी बेटियाँ |
    कब रहीं है सता आपकी बेटियाँ |
    अंश ये आपकी वंश ये आपकी |
    आपका हैं पता आपकी बेटियाँ ||

 

  • बेटियाँ गर हों तो सपने पूर्ण होते |
    बेटियाँ गर हों तो अपने पूर्ण होते |
    बेटियाँ माला हैं तुलसी की समझिये |
    साथ इनके मन्त्र जपने पूर्ण होते ||

 

  • खुशबुएँ उपवन सरीखी बेटियाँ है |
    द्वार पर वंदन सरीखी बेटियाँ हैं |
    क्रूरता कोई न इनके साथ हो अब |
    भाल पर चन्दन सरीखी बेटियाँ है ||

 

  • बेटियाँ हैं सदा गुनगुनी धूप सी |
    धीर गंभीर सी माँ की प्रतिरूप सी |
    दूर मुझसे गई पर दिखाई यूँ दे |
    नैन मेरे बसी ,लाडली ,रूपसी ||

 

  • बेटियाँ आतीं हैं इक पहचान लेकर |
    प्यार सबका पा रहीं सम्मान देकर |
    आन पर या शान पर जो बात आए |
    ये बचातीं हैं घराने जान देकर ||

 

  • आपके निर्बल क्षणों में शक्तिदायक बेटियाँ हैं |
    आप कुछ भी सोचिये ,हर पल सहायक बेटियाँ है |
    पुत्र के मानिंद करना ,आप उन पर अब भरोसा |
    वक़्त के साँचे में ढलकर ,आज लायक बेटियाँ हैं ||

 

  • बेटियों ने भाइयों को प्यार भेजा सौ दफा |
    भ्रात आया इक दफा आभार भेजा सौ दफा |
    याद जब भी आ गया बचपन तो भाई के लिए |
    हर दुआ में इक सुखी संसार भेजा सौ दफा ||

 

  • बेटियाँ चहकें जो घर में तो ये घर चहके |
    प्यार जब अपना उडेलें तो ये घर महके |
    लाडली जबसे गई है हो विदा घर से |
    घर वही अब चांदनी में आग सा दहके ||

 

  • बेटियाँ कब भूलतीं हैं मायके का घर |
    सालता रहता है उनको दूरियों का डर |
    हैं जहां माँ बाप ,भाई ओर यादें हैं |
    याद रहता है उन्हें ताजिंदगी ये दर |

 

  • बेटियों कि आँख में बसता नगर इक |
    ओर बसता है नगर के बीच घर इक |
    हैं इसी घर के लिए वो जान देतीं |
    इसलिए जीती हैं ,जीवन भर सफ़र इक ||

 

डॉ अजय जनमेजय

 

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