डॉ. अन्नपूर्णा सिसोदिया
Ytesoterdaay u47rat 811e:19 91AMdc ·
आज ही के दिन मेरे हृदय पटल पर
उदित हुआ यह चंद्र
जिसकी धवल ज्योत्सना से
जगमग हुआ माँ का आँचल
एक गुलाबी फूल खिला मेरी बगिया में
बासंती भोर में सूर्य की मृदु किरणों से
जैसे चमक उठे असंख्य ओसकण धरा पर
दो प्यारी मासूम आँखें, सलोना मुखड़ा
और नन्ही बाहों की छुअन
मेरे सीने से जैसे खुशियाँ लिपटकर
किलकारी भर रही थीं
इससे सुंदर कुछ और देखा ही नहीं था
मेरी आँखों ने कभी
अपलक निहारती, नजरें उतारती
मेरी बाहों के झूले में खेलते खिलखिलाते
अनु-लोक को दिव्य आभा से प्रकाशित करते
आज ही के दिन मुझे मिले तुम
ईश्वर का वरदान कोई फला हो जैसे
जन्मदिन की अनंत शुभकामनाएँ बेटू ......
माँ भवानी की कृपा रहे सदा लाडेसर सबका स्नेहाशीष पाते रहो, माँ का सारा प्यार और आशीर्वाद मेरे कुंवर दिव्यांश सिसोदिया
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