"आखिरी वीडियो"
रीमा कुछ हफ्तों के लिए भारत आई थी।फीज़ी में पति और बच्चों के साथ रहती थी।माता-पिता से मिलने लगभग हर साल ही भारत आना होता था।उनसे मिलकर एक नई जिंदगी सी मिल जाती थी फिर यादों को मन में सजा लौट जाया करती थी वापस अपनी रोजी रोटी की जगह।इस बार जब आई तो उसकी एक नई दोस्त बन गई दोस्त का नाम था "चूँ चूँ"।रात को जैसे ही दस बजते रीमा माता -पिता के लेटने के बाद अपने कमरे में आ जाती और अपना लेखन का काम करने लगती लेखिका जो ठहरी।
शान्त से वातावरण में जब लैपटॉप पर रीमा की ऊँगलियाँ दौड़ रही होती तभी उसकी दोस्त "चूँ चूँ" आकर जाने उससे क्या बातें किया करती कि रीमा की ऊँगलियाँ थम जाया करती और वह खो जाती उसकी प्यारी सी आवाज में और समझने का प्रयास भी करती कि वह क्या कहना चाहती है,ये सिलसिला एक हफ्ते तक चला।
शायद "चूँ चूँ" को रीमा के लैप टॉप की आवाज और रीमा को चूँ चूँ की आवाज की आदत सी हो गई थी।रीमा की बहुत तमन्ना थी कि वो एक बार तो कम से कम अपनी दोस्त को देखे और आज उसकी वह तमन्ना भी चूँ चूँ ने पूरी कर दी थी।आज जब रीमा बाज़ार से लौट कर आई तो दिन में ही उसे चूँ चूँ की वही प्यारी मधुर सी आवाज सुनाई पड़ी रीमा दौड़कर बाहर गई तो देखा बड़े वाले गेट पर चूँ चूँ धीरे-धीरे चल रही थी और अपनी मधुर ध्वनि में मानों रीमा को कुछ कहना चाह रही हो।रीमा की खुशी का ठिकाना ना था उसने भी प्यारी सी तोतली सी आवाज बनाकर उससे बात करनी शुरु की।चूँ चूँ दरवाजे के पास बने गमले में जा बैठी और मीठी जबान में कुछ बातें करती रही, रीमा खुशी के मारे कभी उसकी वीडियो बनाती और कभी फोटो खींचती,वह उन पलों को अपने कैमरे में कैद करना चाहती थी, ताकि जब भी वह लौटकर फीजी जाए तो अपनी दोस्त को फोटो और वीडियों में देख सके।
थोड़ी देर बाद चूँ चूँ सड़क के किनारे-किनारे चलते हुए दूर निकल गई और जब आँखों से ओझल हो गई तब रीमा भी घर के अन्दर आ गई।खुशी से फूली नहीं समा रही थी रीमा।अपनी दोस्त की फोटो और वीडियो सबको दिखा रही थी।सब जानते थे कि चूँ चूँ रात को दस बजे रोज आती है पर किसी ने भी उसको देखा नहीं था सब उसको फोटो और वीडियो में देखकर खुश हो रहे थे।
शाम को आठ बजे रीमा रोज घूमने जाया करती थी हमेशा की तरह आज भी गई।घर से मुश्किल से दस कदम ही चली होगी कि सामने का नज़ारा देखकर उसके पाँव मानों बर्फ के समान जम गए हों,चेहरे और हथेलियों से पसीना फूट निकला,साँसे थम सी गईं,वह जमीन पर बैठ गई, उसके सामने उसकी प्यारी दोस्त खून से लथपथ पड़ी थी उसके प्राण पखेरू उड़ चुके थे।शायद किसी वाहन से टकरा गई थी।
नन्हीं सी जान छछूंदर ही रीमा की चूँ चूँ थी।रीमा ने उसको उठाया और घर के बाहर बने गमले में उसको दफनाकर अंतिम विदाई दी।रात के दस बजे
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