Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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शरद पूर्णिमा पर एक ग़ज़ल

 
शरद पूर्णिमा पर एक ग़ज़ल

आज  की रात पूनो  की  रात है चन्दा 
देखकर जग कहेगा क्या बात है चन्दा।

सोलह कलायें करेंगी श्रृंगार तेरे सोलह 
राधा  की कान्हा से मुलाकात है चन्दा।

गिरेगा तेरी किरणों से  धरा पर अमृत 
सुख की,ख़ुशियों की बरसात है चन्दा।

नभ में होगा महारास सब देव देखेंगे
अश्विन  पूर्णिमा एक सौग़ात है चन्दा।

खीर हर लेगी पीर सारी तेरी इन्सान  
खीर की छत पर रखी परात है चन्दा।

"दीपक" देहरी सजाइये मन से मनाइये
जैसे घर में एक उत्सव बारात है चन्दा।

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