वीरांगना झलकारी बाई पर एक बाल कविता
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रणचण्डी का रूप धरा चुन के गोरी सेना मारी
दुर्गा सेना की दुर्गा थीं वीर बुंदेली झलकारी।
एक कुल्हाड़ी से बचपन में ऐसा तेज़ वार किया
आदमख़ोर तेंदुआ वन में झलकारी ने मार दिया
बोल उठी सिगरी झाँसी बहुत साहसी ये नारी
दुर्गा सेना की दुर्गा थीं वीर बुंदेली झलकारी।
क़द काठी रानी के जैसी सूरत लक्ष्मी बाई सी
रानी झाँसी को लगती थीं वो अपनी परछाई सी
अद्भुत तेवर,अपरम साहस,जलती जैसे चिंगारी
दुर्गा सेना की दुर्गा थीं वीर बुंदेली झलकारी।
अंग्रेजों ने घेरी झाँसी,रण को चण्डी निकल गई
युद्ध देखकर झलकारी का शत्रु सेना दहल गई
पूरन कोरी संग बाई ने विपदा झाँसी की टारी
दुर्गा सेना की दुर्गा थीं वीर बुंदेली झलकारी।
रूप रचा रानी का और रानी से बोलीं तुम जाओ
देश को बड़ी ज़रूरत है रानी तनिक न घबराओ
एक तुम्हारी झलकारी है सारी सेना पर भारी
दुर्गा सेना की दुर्गा थीं वीर बुंदेली झलकारी।
@ डॉ. दीपक शर्मा
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