संयुक्त राष्ट्र को नई दिशा देंगे चबा कोरोसी
डॉ. कन्हैया त्रिपाठी
दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है. कोविड-19 के बाद युक्रेन और रूस के बीच संघर्ष से हमारी पृथ्वी पर भी व्यापक बदलाव हो रहे हैं. क्लाइमेट चेंज और दूसरी चुनौतियों के समक्ष हमारे बहुत से मानवता के मापदंड और बहुलतावादी सोच को भी झटका लगा है. संयुक्त राष्ट्र की भूमिका ऐसी परिस्थितियों में और बढ़ गई है. इस बीच संयुक्त राष्ट्र महासभा के 77वें अध्यक्ष के रूप में जिस सख्शियत को हम प्राप्त करने जा रहे हैं, वह हैं-हंगरी के सपूत, पर्यावरण मामलों के जानकर, एसडीजी के पैरोकार व राजदूत चबा कोरोसी.
विगत 5 मई को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें अध्यक्ष महामहिम अब्दुल्ला शाहिद द्वारा जब इनफॉर्मल इंटरएक्टिव डायलॉग का आयोजन किया गया और के 77वें अध्यक्ष के लिए बतौर उम्मीद्वार महामहिम चबा कोरोसी ने दुनिया से संवाद स्थापित किया तो उन्होंने दुनिया के राज्य-प्रतिनिधियों, सिविल सोसायटीज और अकादमिक जगत के समक्ष जिस बेबाकी से अपनी राय रखी उससे उम्मीदें और बढ़ जाती हैं कि उनके अध्यक्ष बनने से संयुक्त राष्ट्र महासभा दुनिया को नए तरीके से जुड़ने का प्रयास करेगी. इस कार्यक्रम में मुझे भी जुड़ने का अवसर मिला. उनके अधरों पर मुस्कान के साथ दुनिया के लोगों से मुखातिब होते हुए कोई भी देखकर महसूस कर सकता है कि वह मृदुभाषी हैं और अच्छे वक्ता हैं. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को नए तरीके से प्रतिष्ठित करने का संकल्प लिया है. राजदूत कोरोसी ने अपनी प्रतिबद्धताओं को जिन तरीके से अभिव्यक्त किया है उससे यह प्रतीत होता है कि उनके विजन-संकल्प से राज्यों के भीतर मैत्री, प्रेम और विकास को व्यापक विस्तार मिलने वाला है.
हंगरी के राष्ट्रपति के कार्यालय में पर्यावरण स्थिरता निदेशक, सेजेड (हंगरी) में 1958 में जन्मे, राजदूत चबा कोरोसी77वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष पर सुशोभित होकर सतत विकास लक्ष्य को को केंद्र में लाएंगे. उनका लक्ष्य जेंडर संतुलन के साथ प्रकृति के साथ मनुष्य के तादात्म्य स्थापित करने का भी है. लम्बे व्यावसायिक करिअर और अनुभव वाले चबा कोरोसी 1983 में विदेश मंत्रालय में शामिल हुए. उन्होंने त्रिपोली (लीबिया), अबू धाबी (यूएई), तेल अवीव (इज़राइल), एथेंस (ग्रीस) न्यूयॉर्क (यूएन) में महत्त्वपूर्ण पदों पर रहकर कार्य किया. वह इस दौरान सुरक्षा नीति, बहुपक्षीय कूटनीति और मानवाधिकारों के लिए मुखर रहे हैं. सबसे अहम बात यह है कि चबा कोरोसी संयुक्त राष्ट्र महासभा के उपाध्यक्ष का दायित्व भी 2011-12 में निभा चुके हैं. इसलिए उनको महासभा की वह बारीकियां पता हैं, जिससे वे रचनात्मक रूप से सदस्य देशों के साथ मिलकर कार्य कर सकेंगे. उन्हें सतत विकास लक्ष्यों पर संयुक्त राष्ट्र मुक्त कार्य समूह के सह-अध्यक्ष का भी अनुभव है इसलिए संयुक्त राष्ट्र की महत्त्वाकांक्षी योजना एसडीजी-2030 को भी गति मिलेगी. वह हंगरी गणराज्य के राष्ट्रपति कार्यालय की शान हैं और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए कार्य कर रहे हैं. उन्हें दुनिया में लोग पानी-संरक्षक के रूप में भी जानते हैं क्योंकि वह जल पर पुरजोर वकालत करते रहे हैं. विश्व बैंक समूह के लिए भी राजदूत चबा कोरोसी महत्त्वपूर्ण अवदान है.
जहाँ तक शिक्षा-दीक्षा की बात है तो, राजदूत कोरोसी मास्को में अंतर्राष्ट्रीय संबंध संस्थान के 1983 के स्नातक हैं. इसके अलावा, उन्होंने हिब्रू विश्वविद्यालय में भाग लिया, जहां उन्होंने मध्य पूर्व के मुद्दों का अध्ययन किया. उन्होंने 1991 में लीड्स विश्वविद्यालय में एक राजनयिक पाठ्यक्रम भी पूरा किया, और बाद में, हार्वर्ड विश्वविद्यालय में एक रणनीतिक वार्ता पाठ्यक्रम पूरा किया. इस प्रकार चबा कोरोसी की शिक्षा जिन विशिष्ट संस्थान में संपन्न हुई उनमें शामिल हैं- अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का मास्को संस्थान, लीड्स विश्वविद्यालय (यूके), अंतर्राष्ट्रीय संबंध संस्थान,हिब्रू विश्वविद्यालय, जेरूसलम, (इज़राइल) मध्य पूर्व अध्ययन के लिए ट्रूमैन संस्थान, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (यूएसए), कैनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट. इन शैक्षणिक संस्थानों की शिक्षा व उपाधियाँ अर्जित कर चबा कोरोसी अपने प्रज्ज्वलित दिमाग से अब पूरी दुनिया को आलोकित करने जा रहे हैं. राजदूत कोरोसी को मातृभाषा हंगेरियन के अलावा अंग्रेजी, अरबी, फ्रेंच, रूसी भाषाएँ आती हैं. विभिन्न पुरस्कारों और सम्मानों से भी राजदूत कोरोसी विभूषित हो चुके हैं जिसमें फीनिक्स, ग्रीस का ऑर्डर, ऑर्डर ऑफ मेरिट, पोलैंड, ऑर्डर ऑफ मेरिट, सॉवरेन माल्टीज़ ऑर्डर, ऑर्डर ऑफ मेरिट, हंगरी और साथ ही पर्यावरण कूटनीति के लिए एलिजाबेथ हब पुरस्कार (2015)भी उन्हें मिला है. सन 2015 में उन्हें अफ्रीकी और कैरिकॉम द्वारा स्थापित वैश्विक उपलब्धि के लिए अफ्रीका कनेक्ट ऑनलाइन पुरस्कार से भी नवाज़ा जा चूका है.
मोरा एडिट राजदूत चबा कोरोसी कि धर्मपत्नी हैं और उनकी एक बेटी है लिली कोरोसी. पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ राजदूत चबा कोरोसी की सबसे अहम् बात यह है कि वह पूरी पृथ्वी की खुशहाली की बात करते हैं. उनमें दूसरों के कार्यों का सम्मान है और स्वीकृति भी. विगत दिनों जब वह इनफॉर्मल इंटरएक्टिव डायलॉग में दुनिया भर के महानुभावों के सवालों का ज़वाब दे रहे थे तो उन्होंने 76वें सत्र की अध्यक्षता संभालने के लिए अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद को बधाई दी और उनके दृष्टिकोण के लिए समर्थन व्यक्त किया. उन्होंने यूथ फेलोशिप प्रोग्राम की स्थापना सहित अपनी प्राथमिकताओं को प्राप्त करने के लिए अध्यक्ष महामहिम शाहिद के प्रयासों की सराहना की। यह दर्शाता है कि राजदूत चबा कोरोसी दूसरों की अच्छाइयों की सराहना करते हैं और साथ ही आने वाले समय में ऐसे रचनात्मक कार्यों को आगे बढ़ाने में रुचि लेते हैं.
हंगरी के बारे में कहा जाता है कि वह अद्भुत सुन्दरता वाला देश है. उसका एक आकर्षक इतिहास है. साथ ही समृद्ध प्राकृतिक परिदृश्य है. ऐसे उत्कृष्ट देश से दुनिया को सशक्त नेतृत्व देने जा रहे राजदूत चबा कोरोसी मन से बहुत सुन्दर हैं. उनके विचारों में प्रकृति के प्रति प्रेम है. स्वाभाव में सुंदर सी ऐसे परिदृश्य को गढ़ने की सदइच्छा भी है. विजन-प्लान में इस बात का उन्होंने रेखांकित किया है कि हम वैज्ञानिक सुन्दरता के साथ प्रकृति की सुन्दरता की खोज के माध्यम से सुन्दर दुनिया निर्मित कर सकते हैं.
सबसे अच्छी बात यह है कि संयुक्त राष्ट्र आज जिस पड़ाव पर है. जो संयुक्त राष्ट्र के समक्ष दुनिया की चुनौतियाँ और समाधान हैंउसे महासभा के माध्यम से चर्चा के केंद्र में उन विषयों को लाना आवश्यक है जिससे हम एक प्रसन्नचित दुनिया का निर्माण कर सकें. सतत विकास लक्ष्य के हिमायती राजदूत चबा कोरोसी के नेतृत्व में पूरी दुनिया को उम्मीदें इसलिए जागृत हुई हैं क्योंकि वह चीजों को समझते हैं और एमडीजी-2015 से एसडीजी-2030 तक की संकल्पना को वह अच्छे से समझते हैं. दरअसल, सतत विकास लक्ष्य एक ऐसी उपलब्द्धि के रूप में परिभाषित होने जा रही है कि जिसमें मनुष्य हैपीनेस इंडेक्स मेंअभिवृद्धि होगी और प्राकृतिक रूप से जीवन और प्रकृति की सातत्यता बनेगी. चबा कोरोसी निःसंदेह इस बात पर जोर देने वाले हैं कि हम किसी भी तरीके से इस लक्ष्य को प्राप्त करें और एक बेहतरीन दुनिया का निर्माण करें.
सादगी और विनम्रता की प्रतिमूर्ति जो कि सतत शांति में यकीन रखने वाले योग्य और अनुभवी चबा कोरोसी नेअपने विजन-संकल्प में लिखा है किमानवाधिकारों की सुरक्षा और सभी प्रकार के भेदभाव के खिलाफ लड़ाई को आगे हमारे निर्णयों में, मुख्य धारा में शामिल किया जाना चाहिए. सचाई यह है कि हमारी चिंताएं मानव अधिकारों के संरक्षण से कहीं दूर जा रही हैं, ऐसे में चबा कोरोसी की मानव अधिकारों के लिए वकालत कर रहे हैं जो उनके व्यक्तित्त्व को प्रस्तुत करता है. उनका मानना है कि विश्वास में गिरावट हमेशा बड़ी चुनौतियों से निपटने को कठिन बना देती है. वह एक विश्वासपूर्ण विश्व के लिए वातावरण बनाने के हिमायती हैं. वह चाहते हैं कि परस्परता बढ़े और बहुपक्षीय संबंधों में सुधार हो. देश सहिष्णु और समृद्ध बनें. जो चुनौतियाँ पूरी प्लेनेट-ग्रह को प्रभावित कर रही हैं, उसके लिए साझा प्रयास हों और अधिकतम सफल होकर हम सकल-घरेलु-कल्याण और प्रसन्नता के इंडेक्स में अभिवृद्धि करें.
सब मिलाकर देखा जाए तो एक बात स्पष्ट है कि राजदूत चबा कोरोसी सकारात्मक ऊर्जा से पूरी पृथ्वी और प्रकृति की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. निसंदेह जिसके संकल्प अच्छे होते हैं वह अपने युग का पथ-प्रदर्शक और नेतृत्वकर्ता बनता है और राजदूत चबा कोरोसी से एक सफल नेतृत्त्व की उम्मीद जो पूरी दुनिया कर रही है नयी महासभा के सञ्चालन के साथ, वह पूर्णतया सफल हो तो निश्चित ही बदलाव होंगे.
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लेखक भारत गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति जी के विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) का दायित्त्व निभा चुके हैं और अहिंसक सभ्यता के पैरोकार हैं.
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UGC-HRDC, Dr. HarisinghGourVishwavidyalaya, Sagar-470003 MP India
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