वोल्कान बोज़किर के स्वागत में संयुक्त राष्ट्र का 75वां सत्र
डॉ.
दुनिया में कोविड-19 ने गहरा असर डाला है लेकिन फिर भी दुनिया की रफ़्तार कम नहीं हो रही है. विश्व भर में विकास व विस्तार के लिए प्रत्येक दिन रणनीतियां बन रही हैं. इंसान की इच्छाशक्ति से दुनिया चलती है. संयुक्त राष्ट्र के महासभा का सत्र अपने पचहत्तरवें जश्न के लिए तैयार हो रहा है. और इस महामारी और चुनौतीपूर्ण समय में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पाँच में से चार अस्थाई सदस्यों के साथ-साथ महासभा के 75वें सत्र के अध्यक्ष पद पर भी चुनाव सम्पन्न हो गया. तुर्की के वोल्कान बोज़किर को नया महासभा अध्यक्ष चुना गया है. आर्थिक व सामाजिक परिषद के भी 18 सदस्यों का भी चुनाव हुआ है. सुरक्षा परिषद की अस्थाई सदस्यता के लिए निर्वाचित होने वाले देशों में भारत भी शामिल है. भारत को सुरक्षा परिषद् में स्थान पाना उसकी गरिमा को बढ़ाता है. भारत अहिंसा और शांति के लिए संयुक्त राष्ट्र में अपनी छवि के लिए जाना जाता है. संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें मौजूदा सत्र के अध्यक्ष प्रो. तिजानी मोहम्मद बांदे ने बुधवार को परिणामों की घोषणा की. इसमें सबसे अहम बात यह रही है कि वोल्कान बोज़किर एक सुलझे हुए रणनीतिकार हैं, उन्हें अध्यक्ष के रूप में चुना गया है. मृदुभाषी हैं. उनका व्यक्तित्त्व इस प्रकार का है कि वे अपने देश के सबसे छोटी ईकाई को भी बहुत गंभीरता से नेतृत्त्व देने वाले लोगों में सुमार किये जाते हैं. वे महिलाओं के प्रति सम्मान रखते हैं और अपने पिता और माता के प्रति आदर भाव रखते हैं. उन्हें जमीनी सचाई बहुत अच्छे से पता है और उन्होंने अपने कैम्पेन के साथ यह भरोसा संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों को दिलाया है कि वे इस महत्त्वपूर्ण समय को पहचानते हैं और महासभा में वे सबको आदर देंगे.
वर्तमान महासभा अध्यक्ष प्रो. तिजानी मोहम्मद बांदे ने तमाम मतदाताओं से आग्रह किया था कि वो उनके 2 जून 2020 के पत्र में निर्धारित सभी दिशा-निर्देशों का पालन करें. इनमें सभा के रूप में एकत्र नहीं होना और एक दूसरे के बीच शारीरिक दूरी बनाए रखना, और चुनाव के दिन अपने चेहरों को फ़ेस मास्क के ज़रिए ढके रखने की हिदायतें शामिल हैं. यूएन वेब टीवी में न्यूयार्क में सभी देशों ने प्रो. बांदे के न केवल आग्रह का पालन किया अपितु सदस्य राष्ट्र के प्रतिनिधि सभी एक सजग और जिम्मेदार अध्यक्ष के रूप में वोल्कान बोज़किर को अध्यक्ष रूप में चयन भी करने में अपना सहयोग दिए. सितम्बर में ऐसे चुने हुए अध्यक्ष महासभा की कार्यवाही के दौरान अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हैं और उनके ही मार्गदर्शन में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश अपने देश का पक्ष रखते हैं और अपनी चिंताओं को जाहिर करते हैं.
इस वर्ष की महासभा संयुक्त राष्ट्र की 75वीं वर्षगांठ के दौरान चलेगी. कोविड-19 महामारी अपने ऐतिहासिक महत्व को जोड़ती है, दुनिया में एसडीजी-2030 के लक्ष्य और सुरक्षा उपायों को बनाए रखने की आवश्यकता है, ऐसे वक्त पर वोल्कान बोज़किर को जो नई जिम्मेदारी मिली है वह चुनौतीपूर्ण ज़रूर है लेकिन वोल्कान बोज़किर एक ऐसे कढ़े हुए नेता हैं जो इस चुनौती को बहुत ही सहजता से सामना करने में सक्षम हैं.
वोल्कान बोज़किर ने अंकारा विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की है. अपने स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद, वह 1972 में विदेश सेवा में शामिल हो गए. उन्होंने अपने 39 साल के पेशेवर करियर के दौरान कई पदों पर काम किया है, जिसमें स्टटगार्ट में महावाणिज्य दूतावास, बगदाद में दूतावास के पहले सचिव, स्थायी प्रतिनिधि के काउंसलर आदि दायित्त्व शामिल हैं. वे ओईसीडी, न्यूयॉर्क में महावाणिज्यदूत, बुखारेस्ट में राजदूत, ईयू के लिए तुर्की का स्थायी प्रतिनिधि का दायित्त्व सम्हाल चुके हैं. उन्होंने प्रधान मंत्री तुर्गुत के विदेश नीति सलाहकार, कैबिनेट के प्रमुख और राष्ट्रपति तेर्गुत के मुख्य विदेश नीति सलाहकार और राष्ट्रपति सुलेमान डेमिरल, यूरोपीय संघ के मामलों के लिए उप महासचिव, यूरोपीय संघ के मामलों के लिए विदेश मामलों के लिए विदेश मंत्रालय में उप-अवर सचिव के रूप में कार्य किया है. वे ईयू मामलों के महासचिव का भी कार्य निष्पादन किए हैं.
राजदूत वोल्कान बोज़किर को 2011 में पहले संसद सदस्य के रूप में चुना गया था. संसद सदस्य के रूप में अपने नौ वर्षों के दौरान, उन्होंने विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष, तुर्की-अमरीका अंतर-संसदीय मैत्री कॉकस के अध्यक्ष और तुर्की-रूसी नागरिक मंच के सह-अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया. उन्हें अगस्त 2014 में यूरोपीय संघ के मामलों के मंत्री और मुख्य वार्ताकार के रूप में नियुक्त किया गया और जून 2016 तक इस पद पर बने रहे. जुलाई 2018 में, उन्हें चौथी बार तुर्की की ग्रैंड नेशनल असेंबली की विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष के रूप में चुने गए. वोल्कान बोज़किर ने तुर्की-ऑस्ट्रेलिया अंतर-संसदीय मैत्री समूह की भी अध्यक्षता की.
वोल्कान बोज़किर को रोमानिया के स्टार ऑफ़ द ऑर्डर और ऑर्डर ऑफ़ द मेरिट ऑफ़ इटैलियन रिपब्लिक को "नाइट" रैंक पर और अज़रबैजान गणराज्य के विदेश मामलों के मंत्रालय की 100 वीं वर्षगांठ पदक से सम्मानित किया जा चूका है. धाराप्रवाह अंग्रेजी और फ्रेंच के जानकार वोल्कान बोज़किर अब अपनी नई पारी में संयुक्त राष्ट्र के आमसभा के पचहत्तरवें सत्र के संचालन के लिए चयनित हो चुके हैं. उन्हें 192 देशों द्वारा निर्विरोध चुना गया और वे एक लोकप्रिय महान नेतृत्त्व के लिए अपनी समझबूझ के कौशल का प्रदर्शन सितम्बर में दुनिया के समक्ष करेंगे. उनकी सहजता और लोकप्रियता का सबसे अहम पक्ष यह रहा है कि वे कभी भी किसी से भी मिलते रहे हैं. उनके विजन स्टेटमेंट व्यावसायिकता, योग्यता और विशेषज्ञता, साथ ही क्षेत्रीय और लिंग संतुलन के सिद्धांत रहे हैं. उन्होंने अपने स्टेटमेंट में कहा है कि मेरी टीम की रचना का निर्धारण करने औए समस्त राष्ट्रों के लिए खुले मन से कार्य करने की प्रतिबद्धता है जो यह दर्शाती है कि वोल्कान बोज़किर संयुक्त राष्ट्र में कुछ नया और उत्कृष्ट कर सकेंगे. वैसे भी संयुक्त राष्ट्र के पचहत्तर वर्ष पूरे हो रहे हैं. इस विशेष अवसर पर उनकी ताजपोशी संयुक्त राष्ट्र के लिए भी इतिहास रचने के लिए एक प्रकार से आमंत्रण है. दक्षता, प्रभावशीलता, जवाबदेही और गैर-भेदभाव मेरे कार्यकाल के मार्गदर्शक सिद्धांत होंगे और मेरी टीम खुलेपन, समावेशिता और पारदर्शिता के आधार पर काम करेगी, वोल्कान बोज़किर के शब्द. उनकी यह प्रतिबद्धता खुद अपने नेतृत्व क्षमता को रेखांकित करती है. सम्पूर्ण राष्ट्र वोल्कान बोज़किर को बधाइयाँ दे रहा है और ट्विटर पर स्वयं वोल्कान बोज़किर प्रसन्नता से अपने नए दायित्त्व के लिए खुश और तत्पर नजर आ रहे हैं. उनके उत्कृष्ट कार्यकाल के लिए भारत की ओर से भी बहुत-बहुत बधाइयां और साथ ही इस महान नेतृत्व से पूरी दुनिया अपेक्षा भी कर रही है कि पूरी दुनिया में अमन और प्रसन्नता के लिए वे संयुक्त राष्ट्र को निर्मित करें. वोल्कान बोज़किर का यह कार्यकाल निश्चित रूप से कुछ नया रचने वाला है.
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लेखक भारत गणराज्य के महामहिम राष्ट्रपति जी के विशेष कर्त्तव्य अधिकारी रह चुके हैं और वर्तमान में डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर से सम्बद्ध हैं.
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