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Dr. Srimati Tara Singh
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गणतंत्र दिवस

 
गणतंत्र दिवस
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झण्डा अपने देश का , है गणतंत्र की शान
शुरू हुआ था आज ही ,अपना ये संविधान
उन्नीस सौ पचास  को, हुए  हम  स्वाधीन
खुली हवा में सांस ली , नहीं रहे आधीन

इसी लिये हम वतन का , रखे बनाये मान
झण्डा अपने देश का , है गणतंत्र की शान

छब्बीस जनवरी दिवस , छाया मन उल्लास
भास हमें हो रहा है ,आज आनन्द हास
मिली आजादी हमें जो, उसका हो आभास
इसी हेतु ले शपथ हम,भारतवासी  खास

मान देश पर मुझे है , जो है मेरी जान
झण्डा अपने देश का , है गणतंत्र की शान

बरकरार हम रखे मिल , अक्षुण्णता को  आज
गौरव मय इतिहास है,जिस पर हमको नाज
राणा सांगा भूमि यह ,  जिस पर हमको  मान 
वीर शिवा मनु छबीली , करते गौरव गान

मिट जाऊँ मैं आज फिर , ऐसा है अरमान 
झण्डा अपने देश का , है गणतंत्र की शान

सावरकर की बोल जय , जिसने दे दी जान
भगत शेखर को  मात , रही सुनाती कान 
अब तक लूटा बहुत ने , अब नहिं सके लूट
सौगंध खा कर कहे हम ,कर दे उसको शूट

मैं भी इस पर मिटूँ अब ,यही वतन फरमान
झण्डा अपने देश का , है गणतंत्र की शान

सींचा हमने लहू से , करके खुद कुर्बान
इसी लिये हम बढ़ाये , मान सदा दे जान
विकास पथ पर वतन हो , करे सदा प्रयास
युवा और सब जनों से , बनी रहे यह आस

अपने से है वतन यह, अपने से इसका मान
झण्डा अपने देश का , है गणतंत्र की शान

अठारह सौ सत्तावन ,  शुरू क्रांति की आग
रहे वर्चस्व सभी का , लहू गया था जाग
आहुति असंख्य जनों की,आजाद हिन्द हेतु
इसी लिये था जरूरी , बीच सभी के सेतु

आने वाले लोग भी , गाये इसके गान
झण्डा अपने देश का , है गणतंत्र की शान

डॉ मधु त्रिवेदी


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