Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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आओ तिरंगा फहरायें

 
आओ तिरंगा फहरायें।

आओ तिरंगा फहरायें,
हे नवजवान और जवान होते
देश की बागडोर सम्हालने वाले 
तुमने तो पढ़ा ही होगा,
सुना भी दादा-दादी से
अगर तुम सौभाग्यशाली हो
पढ़ा तो होगा जरुर से 
याद भी है कि नहीं?
देश भारत १५ अगस्त १९४७ को
हर भारतवासी ने तिरंगा झण्डा फहराया 
आजादी को उसी अब तुम्हें संवारना है
आजादी ये किसी उपहार में नहीं मिली
मूलनिवासी भारतवासी, गाजर मूली तरह कटे 
इतिहासकारों को उन गांव और 
गांववासियों के हाशिए के लोगों 
कि याद तक नहीं 
तुम्हें खंगालना और टटोलना होगा प्यारे 
देश हवाले तुम्हारे 
कटे खूब गुलामी की जंजीरों में जकड़ने वालों को गाजर मूली की तरह,काल के माथे मढ़ा है
अशिक्षित वर्णिक चौथे दर्जे वालों ने काटा 
तवायफों और मलिन पेशे में छोंकी 
महिलाओं ने भी वेष बदल-बदलकर 
गोरों को खूब मज़ा चखाया 
रखना आजादी अमर हमारी 
सच...अमर शहीदों के कंधे पर
चढ़कर देश ने आजादी है पाई 
कटे थे अंग-भंग हुए थे 
मरे थे शहीद हुए थे 
ना जातिभेद ना  धर्मभेद था 
ना स्त्री ना पुरुष का भेद था 
कटे थे, अंग-भंग शहीद हुए थे 
मकसद था सच्चा हर कीमत पर आजादी 
अफसोस ;
जाति भेद -धर्मवाद,नारी अस्मिता पर,
शोले बरस रहे आज भी 
पूरी तरह लागू नहीं हुआ संविधान भी 
शोषण-अत्याचार,नारी उत्पीड़न पर
पूर्ण विराम लगाना होगा तुम्हें 
आजादी की रक्षा संविधान की रक्षा 
करना होगा तुम्हें 
ना जातिवाद ना अब धर्मवाद का जाप बंद होगा 
आजादी के रक्षा की शपथ,
सच्ची लेना होगा तुम्हें 
समरसता-समानता का राज लाना होगा तुम्हें 
देश गुलामी, विभाजन और वर्णवाद का
अभिशाप झेल चुका है बहुत प्यारे
बहुत हुआ और अब नहीं 
वर्णवाद-धर्मवाद , अधिकार हनन से मुक्त,
समानता का राज लाना होगा तुम्हें 
देश की बागडोर ईमानदारी से थामना होगा 
आओ देशवासियों बूढ़े बच्चे नवजवानों 
अमर शहीदों का जय जयकार करे
जय हिन्द,जय भारत,जय संविधान का
उद्घोष करें गगनभेदी,भारत देश महान 
देश का गौरव,जन-जन का स्वाभिमान 
अपनी आजादी की शान,
समय के आर-पार पहुंचाये,
संविधान को माथे लगायें
आओ तिरंगा फहरायें...... तिरंगा फहराये ।

नन्दलाल भारती
१५/०८/२०२४



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