बाबू जी माफ कर दो ना ।
कहा था ना जब तक तुम्हारे पिता चाचा,ताऊ से मेरी मुलाकात नही हो जाती तब तक तुम न हमारे घर मे प्रवेष करोगी ना शहर बेटे के पास जाओगी।इसकी वजह भी तुम ही हो निरंजन बाबू बोले।
जी बाबूजी चेतल बोली।
तुम्हे मैं ,मेरी धर्मपत्नी और मेरा परिवार पसन्द नहीं है।तुम कहती हो सास ससुर मां बाप नहीं हो सकते।क्या सास ससुर का बहू को बेटी मानना गुनाह है ? क्या बिना दहेज़ के बेटा का ब्याह करना अपराध है?
बहू कहे कि सास ससूर को रोटी बनाने नहीं आई हूँ,दहेज नहीं मिलने से नाक कट गई हो या छोटी हो गई हो तो एफिल टावर नाक पर लगवा ले,क्या ऐसे ही कुसंस्कार मां बाप बेटी देते हैं,तुम्ही बताओ क्या तुम्हारे मां बाप ऐसी बहू चाहेंगे।
नही चेतल बोली।
जब तुम्हारे माँ बाप नही चाहेंगे तो तुम्ही बताओ चेतल हम तुम्हें क्यों ।चेतल परिवार जादू, टोना, या तान्त्रिक कर्म काण्डों से नहीं चलता,परिवार चलाने के लिए संयम,त्याग,और परिवार के प्रति समर्पण चाहिए वह तो तुम मे है नहीं।तुम मोहफांस के सहारे पति को गुलाम बना रही हो परिवार तोड रही हो। जानती हो तुम्हारी गलती की वजह से बेटा दयाल को मैं अपनी सम्पति से बेदखल कर सकता हूँ।
बाबू जी माँ ने गलती करवा दी माफी चाहती हूँ चेतल बोली।
क्या कह रही हो चेतल ?
सच कह रही हूँ बाबूजी।
क्या एक माँ अपनी बेटी का घर बसाने की बजाय उजाड़ भी सकती हैं ??????
डॉ नन्दलाल भारती
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