Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

आवाज तो करते हैं

 
आवाज तो करते हैं ।

यादें आज भी हैं
धुंधली धुधली
सपने आज भी है.....सुन्हरे
उजले....उजले
स्कूल की ड्योढ़ी चढ चुका था
चिलचिलाती धूप की
सजा से टूट चुका था
शायद दलित होने की सजा थी
उम्र क्या थी
गोबरहिया कक्षा की
सोचो विचार करो
सजा कत्ल के अपराधी जैसी
भाग गया मुजरिम 
स्कूल के खुले आसमान की
जेल तोड़कर
बस इतना याद है
कोई हेना गुरु थे
घोड़े पर स्कूल जाते थे
वही थे जेलर........
भागते भागते थका नहीं
रुका तो वही
नाम आज भी याद है
हरिजन प्राइमरी पाठशाला
हां शासकीय कागजों मे
लिपपोत दिया गया है
अब है 
शासकीय अनु.जाति जनजाति पाठशाला
यही की शुरूआती शिक्षा ने
भगोड़े को रोशनी थमा दिया
खुल गये थे रास्ते
वजीफे की चमक ने
जीवन चमका दिया
आज छोटी बड़ी डिग्रियां भी हैं
दर्द से शुरू जीवन सघर्ष की
ऊंची पहचान भी
दोस्त जंग थमी नहीं है
आज भी जारी है
चारमुंही व्यवस्था मे
दोयम दर्जे से उपर 
ठगी मानसिकता वाला
आंकता ही नहीं
हम आज भी अग्नि परीक्षा दे रहे
घटिया मानसिकता के
मोढ हर मोढ पर
ताजुब है कि
हमारी पहचान को भी
जातीय ताबूत के बाहर
आने नही आने दिया जाता्
हम है कि
कब्र के करीब पहुंच कर भी
बे-मलाल हाथ बढाये जा रहे
वे हैं कि हमारे अस्तित्व पर
सवाल ही सवाल कर रहे
हमारी आज भी वही जिद है
स्कूल से भागे,
गोबरहिया कक्षा के छात्र की तरह
चलो कुछ अच्छा करते है
सब भले साथ न दे
सबके विकास की 
आवाज तो करते हैं.....
डां.नन्द लाल भारती
11/09/2021

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ