फोन की घनघनाहट सुनकर मिसेज लाल चैंककर फोन की ओर दौड़ पड़ी । फोन की घनघनाहट ना जाने उन्हे क्यों अषुभ सी लग रही थी । वे हड़बड़ायी सी कांपते हाथ से फोन का रिसीवर उठायी और लड़खड़ाती जबान से हेलो बोली । दूसरी तरफ की हेलो की आवाज मिसेज लाल के कान को जैसे चीर गयी । वे घबरायी सी हेलो हेलो रूधें कण्ठ से किये जा रही थी । वे समझ गयी कि दूसरी तरफ फोन पर कोई और नही उनके पति मि.लाल है । मि.लाल की घबराहट भरे हेलो षब्द ने उन्हे किसी अनहोनी की आषंका के घेरे में लाकर पटक दिया । वे हिम्मत करके बोली क्या हुआ । क्यों घबराये हुए हो । कुछ तो बोलो परन्तु मि. लाल के कण्ठ से आवाज नही निकल रही थी । बड़ी मुष्किल से मि.लाल बोले भागवान बहुत बुरा हो गया ।
मिसेज लाल-क्या हुआ अभी तो गये हो बीटिया को लेकर प्राइज लेने । क्या प्रोग्राम कैंसिल हो गया ?
मि.लाल-नहीं ।
मिसेज लाल-तब क्या हुआ? मेरी जान निकली जा रही है । कुछ बताओगे ?
मि.लाल-घबराओ नही।
मिसेज लाल-हुआ क्या बताओ तो सही ।
मि.लाल-एक्सीडेण्ट । श्रमिक कालोनी के अस्पताल में पहुंच गया हूं किसी तरह आटो करके। आटो ने दस रूपया की जगह पच्चास रूपये किराया वसूल किया है । अस्पताल वाले भी पुलिस का डर दिखा रहे है । कोई अनुनय विनय तक को नही सुन रहा है । मैं खड़ा नहीं हो पा रहा हूं । बीटिया लहूलुहान दर्द से तड़प रही है । सिस्टर दरोगा की तरह डांट रही है ,कह रही है । बडे़ अस्पताल जाओ पुलिस केस करना है तो । फस्र्ट एड भी यहां नही मिल रहा है । पुलिस कार्रवाई न करने के लिये दबाव बना रहे है । ना जाने इसमें अस्पताल वालों का कौन सा हित सध रहा है ।
मिसेज लाल पुलिस केस का बाद में सोचेगे पहले तो बोलो इलाज षुरू करें । मै पहुंच रही हूं । पैसे का इन्तजाम करके ।
मि.लाल-ठीक है । डाक्टर तो कई है पर नर्स सनडे का बहाना कर कह रही है अभी डांक्टर है । नर्स से पुलिस केस नही करने की बात कहता हूं देखो मान जाये तो ठीक है । तुम आओ तो बडे़ अस्पताल ही चलते है । जल्दी आओ ।
मि.लाल पुन- नर्स के पास गये । इलाज ष्ुारू करने का अनुरोध किये । नर्स अपने रवैया पर अड़ी थी वह बोली पुलिस केस है हम हाथ नही लगा सकते । हम तभी इलाज षुरू करेगे जब तुम पुलिस केस न करने का वचन दो और इस कागज पर दस्ख्त करोे ।
मि.लाल-ठीक है । लाइये दस्खत कर देता हूं । इलाज षुरू करो ।
इतने में डाक्टर हाजिर हो गये । झटपट मुआयना किये और बोले घबराने की बात नही है । हड्डी नही टूटी है । खरेांच की वजह से खून बहा है । नर्स हां में हां मिलाती रही । इतने में मिसेज लाल आ गयी बीटिया को लहूलुहान देखकर धड़ाम से गिर पड़ी ।
नर्स बोली- क्यों इतना नाटक कर रही हो मैडम । जरा सी चोट लगी है । मरहम पट्टी हो गयी है । डाक्टर साहब ने दवा लिख दी है खिलाते रहना । दो चार दिन में दौड़ने लगेगी तुम्हारी बीटिया । तुम्हारे मिस्टर को घाव तो नही लगी है उन्हे झूठमूठ की बेचैनी है । यहां से घर ले जाओ । बढिया चाय बनाकर अपने हाथ से पीलाओ ठीक हो जायेगे । जहां घाव लगी हो वहां बरफ से सेकायी करते रहना । सब ठीक हो जायेगा । इंजेकषन लग गया है ,दवा दे दी है । घर ले जाओ और आराम करने दो । नर्स ने पांच सौ रूपये रखवा लिये जिसकी कोई रसीद भी अस्पताल से नहीं दी गयी और न ही डाक्टर का परचा दिया गया ।
किसी तरह से मिसेज लाल बेटी और पति को आटो रिक्षे में लादकर घर ले गयी । बाप बेटी के एक्सीडेण्ट की खबर पुरी कालोनी में फैेल गयी । षुक्लाजी,चैहानजी,षर्माजी और जैनजी बाप बेटी की हालत देखकर तुरन्त आटो रिक्षा बुलाये और बाप बेटी को लेकर हड्डी रोग विषेशज्ञ के पास पहुंचे । बीटिया को टेबल पर लेटर दिया गया । डाक्टर पहले बीटिया का चेक अप किये फिर मि.लाल का ।
षुक्लाजी डां. से पूछे डांक्टर साहब फैक्चर तो नही है ना ।
डां. मिस्टर लाल को फैक्चर नही है पर घाव थोड़ी गहरी है। कुछ अन्दरूनी चोटी भी है । पन्द्रह बीस दिन दवा लेनी पडेगी । बीटिया को फैक्चर तो है । एक्सरे के बाद स्थिति साफ हो जायेगी ।
एक्सरे आदि करने में चार बज गये दो घण्टे के बाद रिर्पोट आयी । फैक्चर है । मामला साफ हो गया । डाक्टर तुरन्त कच्चा प्लास्टर करने में जुट गये । घण्टे भर में प्लास्टर हो गया । हाथ धोते हुए डाक्टर साहब बोले मि.लाल आप रेगुलर दवा लेते रहना । बीटिया का प्लास्टर तो हो गया है । बीटिया को ठीक होने में महीना से अधिक समय लग सकता है । बीटिया को कमप्लीट बेडरेस्ट की जरूरत है । पुलिस केस बनता है एफ.आई.आर.जरूर दर्ज करवा देना । गाड़ी नम्बर तो नोट कर लिया होगा ।
मिस्टरलाल -हां ।
सुनील और जान्सन स्कूटर नम्बर के आधार पर एक्सीडेण्ट कर भागने वाले अपराधी डी.सक्सेना,जनता क्वार्टर,नन्दानगर का पता लग लिये पर पुलिस ने एफ.आई.आर. न दर्ज करने की कसम खा ली । मि.लाल अपने क्षेत्र के थाने में जाते तो वहा कहां जाता कि जिस क्षेत्र में एक्सीडेण्ट हुआ वहां एफ.आई.आर.दर्ज होगी इस थाने में नही । इस तरह मि.लाल काफी भागदौड़ किये पर पुलिस इधर से उधर भगाती रही । इसी बीच एक दिन डी.सक्सेना मि.लाल के घर आया और बोला पुलिस केस मत करो मेरी षान माटी में मिल जायेगी । बीटिया के इलाज के खर्च को खुद वहन करने का वादा कर चला गया । दोगला डी.सक्सेना अपनी चाल में कामयाब हो गया । महीने भर तक पैतरेबाजी करता रहा । कल रूपये दे जाउूंगा परसों दे जाउंगा फिर अपनी बात से मुकर गया । बोला हमने कोई वादा नही किया था । हम तो समाज सेवक है । सड़क पर चलते लोगों का खून नही बहाते । नगर सुरक्षा समिति का सक्रीय सदस्य हूं । हमारे खिलाफ किसी थाने में एफ.आई.आर.दर्ज नही हो सकती । यह तो पता चल गया होगा ।
मि.जैन-सक्सेना धमकी दे रहे हो । बीटिया का पैर तोड़ दिये डेढ महीने से खटिया पर पड़ी है । तुम इलाज के खर्च को वहन करने का वादा किये थे । एक पैसा आज तक नही दिये कैसे दगाबाज हो । बनते समाज सेवक हो क्या तुम्हारे जैसे ही समाज सेवक होते है । एक्सीडेण्ट करके भाग जाते है । जब पकड़ में आते है तो पैतरेबाजी करते है । अरे कुछ तो षरम करो ।
सक्सेना-मुझ से एक्सीडेण्ट तो हुआ है । मैं रात में जागता हूंा समाज सेवा के लिये । चलती राह मेरी आंख नीद की वजह से बन्द हो गयी । मेरी गाड़ी टकरा गयी । हो गया एक्सीडेण्ट तो मैं क्या करूं । जो तुम लोग कर सकते थे कर लिये । नही लिखा गया एफ.आई.आर ना ......देख लो मैं क्या कर सकता हूं ।
मि.लाल- बडे़ दोगले आदमी हो तुम तो । आंख में धूल छोकना तुम्हे अच्छी तरह से आता है ।खून से खेलते हो होली और बनते हो समाज सेवक । क्यों समाज सेवकों का नाम खराब कर रहे हो ।समाज सेवा के नाम पर पाप कर रहे हो ।खून बहाते हो उपर से धमकी भी देते हो । देखो पैसा हाथ की मैल है । मै इलाज में कोई कोतहाई नही बरत रहा हूं । जरूरत पड़ी तो बीटिया को बड़े से बड़े डाक्टर को देष के किसी कोने में ले जाकर इलाज करवा सकता हूं । सक्सेना तुमने खर्च वहन का वचन दिया था । अपनी जबान से मुकर रहे हो । ऐसा तो दोगले किस्म के लोग ही कर सकते है । अरे दरिन्दे तुमने अपनी गलती का प्रायष्चित कर लेते इतना मेरे लिये बहुत था । तुमने मुझे धोखा क्यों दिया । मेरा केस रजिस्टर्ड नही होने दिया । कैसे घटिया इंसान हो ।तुम्हारे मुंह पर जमाना थूकेगा । समाज सेवा का ढकोसला बन्द कर दो ।
मि.सक्सेना देखो इज्जत मत उतारो ।
मि.षर्मा- तुम्हारी कोई इज्जत भी है । मैं तुमको अच्छी तरह जानता हूं ।तुमने पुलिस केस से बचने के लिये शणयन्त्र रचा था ।
सक्सेना- कामयाब भी हो गया । तुम सब देखते रह गये । चले जाना जिस अदालत में मरे खिलाफ जाना हो । तुम्हारा अंगूठा तो हमने काट लिया । अब तो कही एफ.आई.आर.दर्ज तो करवा नही सकते । कहते हुए दोगला अंगूठा दिखाकर भाग निकला । दोगले की करतूत देख्कार सभी अवाक् रह गये । डी.सक्सेना,जनता क्र्वाटर वाले ने बाप बेटी को टक्कर मारकर भाग गया । पकड़ में आने पर इलाज का खर्च वहन करने का वादा किया था पर ये तो उसका शण्यन्त्र था । जब शणयन्त्र का पता आसपास के लोगो को लगा तो सभी मषविरा देने के लिये जैसे उमड़ पड़े । कोई डी.जी.पी. से कोई एस.पी. से कोई किसी और से षिकायत करने की मषविरा देता । कोई कहता क्या थाने के चक्कर में पड़ना जान बची करोड़ो पाये । कोई बीटिया को दुआये देता कहता भगवान करे मेरी बीटिया जल्दी चलने लगे । कोई कहता भगवान के घर देर है अंधेर नही इसका फल डी.सक्सेना को जरूर मिलेगा । उसकी टांग कट जायेगी । कोई कहता उसकी कटी टांग में कीड़े जरूर पड़ेगे देखना । दोगला बहुत षातिर निकला,भगवान दो मुंहे की खुषी पर मुट्ठी भर आग जरूर डालेगे। सन्तोश करो लाल भईया भगवान तुम्हारा सब दुख हर लेगा । वही तुम्हारा खजाना भरेगा । मि.लाल रिसते जख्म पर मलहम लगाने में मषगूल थे और लोग मुर्दाखोर डी.सक्सेना को बद्दुआये देने में।
डां.नन्दलाल भारती
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