Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अनपढ़ मजदूर का बेटा

 
अनपढ़ मजदूर का बेटा
क्या हुआ बाबू आज हवेली से कुछ मिला है ?
क्या मिलेगा पगली ।
कोई बख्शीश ।
किस बात की बख्शीश ?
सुबह हवेली जाते हो देर रात तक आते हो,हवेली से खेत खलिहान तक का काम करते हो ।
आज तक तो कुछ कीमती तो नहीं मिली ?
मिला तो है।
कब मिला ?
कितनी बार तो बता चुके हैं कि जमींदार ने आज गांजा दिया, मिरचहिया गांजा दिया पन्नी दिया।एकाध बार तो चरस भी दिये थे ।
आज समझ में आया क्यों दे रहे थे ?
क्यों दे रहे थे बाबू ?
सोच समझ ना सकूं, कोल्हू के बैल जैसे मालिक के इशारे पर नाचता रहूँ ।
इतना गूढ़ रहस्य अब कैसे समझ गए बाबू ।पहले मां कहती तो हड्डियां चटका देते थे।
बेटी देर से अक्ल आयी पर आ तो गई।
कैसे आई अक्ल बाबू ।
केशव की खबर सुनते ही छोटे जमींदार बोले सहदेव अब तो हमें तुम्हारी नौकरी करनी होगी।
भैया के नौकरी की खबर अच्छी नहीं लगी ?
कैसे लगती, केशव के जन्म पर तो हवेली के लोग खुश थे कि नया मजदूर आ गया। बेटवा के पांचवीं कक्षा पास करने पर बूढ़े जमींदार बोले थे सहदेऊवा तू अनपढ़  रहा पर तेरे घर से पढा लिखा मजदूर आएगा। हवेली के सपने टूट गए।बीटिया आज मैं बहुत खुश हूँ ।
खुश तो सभी हैं बाबू ।
मै तो बहुत खुश हूँ ।मेरी खुशी के आगे सब की खुशी छोटी है।
अपनी बड़ी खुशी का राज तो खोलो बाबू विद्या बोली।
छोटे जमींदार की बात पर गौर करो वे बोले -सहदेव अब तो हमें तुम्हारी नौकरी करनी होगी। इससे बड़ी खुशी और क्या होगी......... धन्य रे अपने देश का संविधान ।अनपढ़ मजदूर का बेटा साहब बन गया इत्मीनान से सांस छोड़ते हुए सहदेव बोले ।

डां नन्द लाल भारती
30/03/2022


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