Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अस्तित्व बचाए

 


कल होली थी रंग भी बरसे
बरसों पहले जैसे ना सरसे
सरसे भी कैसे वक्त कहा...
हेलो -हाय- बाय-बाय चलते-चलते
मिलावटी रंग कहीं तन बदरंग या
कोई जख्म ना दे दे का भय ..............
महंगाई और मिलावट के द्वन्द के बीच
होली सजी जली और मनी
कल ही होली बीती
आज निशान ढूढ़ना पड़ रहा है ..........
मिलावटी दिखावटी कहाँ ठहरेगा
महंगाई का असर दिखेगा
होली खुशियों का त्यौहार
सद्भावना,संस्कृति परंपरा बसंत बहार.....
बदलते वक्त में होली मनाने के
तरीकों पर करें विचार
चावल, कंकू, हल्दी या चन्दन का
तिलक लगाए
पानी पैसे की तरह ना बहाए .....
घर के बने व्यंजन
खिलाये और खाए
समभाव सद्भाव संग खुशियाँ मनाएं
त्यौहारों के असली अस्तित्व बचाए
भारतीयता के राह जाएँ

......नन्दलाल भारती

 

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