Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बात

 
दुख की बात ।
मुझे अपनी जिन्दगी में सबसे बड़ा दुख तब हुआ जब हमारा बेटा जब बेटा होने के फर्ज का तिरस्कार कर मांता-पिता को लज्जित करता रहा,पिता-पुत्र, माता-पुत्र, भाई-बहन के रिश्ते को कलंकित करता रहा और अपने वैवाहिक जीवन का शैतान मानता बरसों तक ।वहीं दूसरी ओर अपने चोर, झूठे, मक्कार,ठग दगेबाज ,जादूगर सास-ससुर और हाफ माइण्ड-हाफब्लाइण्ड पत्नी के मोहफांश के चक्रव्यूह मे फंसाकर ठगों की दुनिया सजाता रहा ।ये असहनीय दर्द के कई बरस जैसे मौत की शैय्या पर बीते खैर इसके लिए बेटे से पहले गुनाहगार थे उसके ससुर- सास जिस ठग की बेटी का ब्याह बिना किसी दहेज के किया था....जिसके बदले मिली काले पानी की सजा ।भोलाभाला बेटा यह सब ठग सास ससुर और  पत्नी के दबाव मे कर रहा था।  अन्तोगत्वा हमने बेटा और ठग बाप की बेटी को माफ कर दिया ।
खुशी की बात ????
छोटा बेटा जब हम पतिपत्नी की अवदशा देखकर रोते हुए बोला  मैं भैय्या की तरह मम्मी पापा को छोड़कर
कभी नहीं जाऊगा...छोटा बेटा कितना बड़ा हो गया.. हमारी आंखों से खुशी के आंसू झर रहे थे ।
डां नन्द लाल भारती

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