Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बधाई हो कन्हाई........

 


बसंत पंचमी, माँ भारती के
आराधना का दिन
इसी दिन फल फूल से लदा
रेड का पेड़ कट गया
काकी खूब गरियायी
ओरहना घर-घर दे आयी II
बच्चे इकट्ठा हो आये
काकी के कुंडी बजाये
काकी चिल्लाई
रेड के चोर आये
बच्चे खिलखिलाए और
जोर से चिल्लाए
काकी बुरा नो मानो होली आयी
काकी दांत लगाई आधे गाल मुस्काई
डंडा गाड़ने के जश्न में काकी
हंसी -खुशी आयी II
सजने लगा होली का डंडा
बच्चो ने खड़ा कर लिया पहाड़
नीम-बांस के पत्ते ,कंडे,पुआल,
रहतठा,लकड़ी का ,
होली के दिन पूरे गाँव की
हाजिरी में
होलिका दहन हुआ
लपटे दूर -के कई गांवो तक
देखी गयीं
लगा अहंकार भस्म हो गया II
खुशी में जश्न जमा
बांस की पिचकारी से निकला रंग
आकाश तक उड़ा
भर-भर मुट्ठी गुलाल गाल मले
गले मिले -मिलाये
गुड -बतासे मिठाई खिलाये -खाए II
बज उठे ढोल नगाड़े
शुरू हुआ होली के गीत संगीत
बिरहा,नांच गाने के संग
भंग -ठंडाई का दौर
जो देर रात तक चला
पूरा गाँव होली के जश्न में रहा डूबा II
वो भी क्या दिन थे
हाथ तंग और खुशिया भरपूर
मेहमान देवता
आज भी होली है
हाईटेक जमाना है
लेकिन समय कि कमी
ना मिलने-मिलाने का बहाना II
जोर आजमाईश की रस्सा-कसी
इसी बीच महंगाई का
उठ रहा धुंआ वैसे
भूंज गयी हो कुन्तलों आग में
लाल मिर्च जैसे
और
भर आयी हो आँखे II
आस्था-विश्वास रीती-रिवाज है
होली त्यौहार
कितनी क्यों ना हो महंगाई
उड़ता रहेगा गुलाल रंग
सोच-विचार में डूबा
इसी बीच गृह लक्ष्मी सजी -सजाई
थाली लेकर आयी
माथे गुलाल लगाई
बोली होली के बधाई हो कन्हाई
फिर क्या उठ गयी
गूज बधाई हो बधाई

......नन्द लाल भारती

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