कौन कहता है भय नहीं है
सभी भयभीत है बाकी नहीं कोई
कोई साझा कर लेता है
दबा कर जी लेता है कोई
कोरोना का डर है
सत्ता की रस्साकसी का डर है
कुशासन के पोषित गैंगस्टरों का डर है
अपने से भी कम नहीं
चहुंओर ही तो भय है
भय की नुक पर बीत दिन गिनगिनकर
उम्मीद की उर्जा पर
बस बने रहे वफा की डोर थामे सच्चे
कट जायेंगे ये भी मुश्किल के दिन
आयेंगे दिन अपने भी अच्छे ।
डां नन्द लाल भारती
12/07/2020
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