नब्बे वर्षीय बूढा बाप कांपते हुए हाथ बेटे के सिर पर रखते हुए बोले देव उदास हो ?
नहीं बाबू जी ।
बाप का दर्द क्या होता है,मैं समझता हूँ।तुमने गगन को दर्द पीकर इंजीनियर बनाया, पूरे कुनबे को अपार खुशी थी । मैं अधिक खुश था और आज भी हूँ कि एक निरक्षर हलवाह का पौत्र अपने गांव पहला इंजीनियर है।
हाँ बाबू जी।ब्याह होते ही पराया हो गया।
हां बेटा यही तो दुख है परिवार के लिए इतना निर्मोही बना दिया बहुरूपिये मां बाप और उसकी अंधी बेटी ने ।
हां बाबू जी । काश मैं अपनी कसम तोड़कर सब कुछ दहेज मे देने वाले बाप की बेटी से गगन का ब्याह कर देता तो दर्द का बोझ छाती पर नहीं ढोना पड़ता।
नहीं बेटा तुमने बिना दहेज का ब्याह कर बढिय़ा किया है परन्तु अमानुषो ने हमारे परिवार के साथ छल किया है जैसे बामन ने राजा बलि के साथ किया।उनके साथ अगर भगवान है तो जरूर करेगा। बेटा सत्य की ही जीत होती है।
बाबू इतना बड़ा छल हैवान मां बाप ने किया, अर्ध अंधी बेसहूर बेटी को थोपकर हमारे बेटा को गुलाम बना लिया।मेरे बेटे की कमाई पर जश्न मना रहे हैं जादूगर टोनेबाज लूटेरे।
संतोष करो बेटा नेकी के बदले जो हमारे कुनबे को दर्द मिला है, उससे कई हजार गुना दर्द मिलेगा बहुरूपिये स्टीर्ट फाइटर दम्पति और उसके कुनबे को।बहुरूपिओ के मनसूबे कभी नहीं पूरे होंगे। गगन तो अपनी कायनात का कुलदीपक रहेगा।समझ देर सबेर तो आएगी।
बाबू जी आज पच्चीस तारीख है ना,आज तो परिवार के लिए जश्न का दिन था पर ठगों ने ब्लैक डे बना दिया।
डां नन्द लाल भारती
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