क्या बात है सुबह-सुबह चिंता की बौझार समय पुत्र ?
चिंता नहीं बॉ साहब एक दहकता सवाल है।
कैसा सवाल ?
डाक्टर को लेकर।
आजकल के दुछ डाक्टर तो बकर कसाई होते जा रहे है।
बा साहब मुददा तो ये भी ज्वलंत है पर मेरा दहकता सवाल नाम के आगे डाक्टर लिखने को लेकर है।
भाई सेवक चंद लिखने की जिसके पास योग्यता है उसे लिखना चाहिए। तुम भी लिखो तुम्हे हिंदी विद्या पीठ से विद्यावाचस्पति और विद्यासागर की उपाधि मिल चुकी है तुम सुपात्र हो अपने नाम के आगे विद्यावाचस्पति या विद्यासागर या डाक्टर लिखो।
बॉ साहब यही दहकता सवाल है, लोग दहकता सवाल करते है कि पी.एच.डी. कब किये।
लोग उनसे सवाल क्यों नहीं करते जो बिना किसी उपाधि के राष्ट्रपिता अथवा सत्ता पर पारिवारिक कब्ज़ा होने के कारण भारतरत्न हो गए बॉ साहब कहते-कहते हांफ गये ।
सेवकचंद-बॉ साहेब आप तो और बड़ा दहकता सवाल खड़ा कर दिये ।
डॉ नन्द लाल भारती
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