Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दर्द आदमी का नहीं , उसकी कायनात का होता है

 

दर्द कोई सार्वजनिक घोषणा नहीं
और नही
हमदर्दी बटोरने का कोई जरिया
दर्द तो मन की तड़पन ,बदन के मर्दन की
ह्रदय की कराह से उपज ,दंश होता है दर्द ............


दर्द दैहिक हो,दैविक हो ,या भौतिक हो
दर्द अचानक मिला हो
लापवाही या खुद की गलती
अथवा किसी कि बेवकूफियों से
मिले जख्म से उपजा हो दर्द
परन्तु दर्द दर्दनाक होता है ............


छाती या तन के किसी हिस्से का हो
दर्द शरीर के इतिहास भूगोल को
बिगाड़ देता है
मन को आतंकित कर
नयनो को निचोड़ देता है
हर जख्म से उपजा दर्द ...........


सच दर्द एक तन एक मन
अथवा एक व्यक्ति का नहीं रह जाता
परिवार मित्र समूह
सगे सम्बन्धियों
का हो जाता है दर्द...........


दर्द की कई वजहें हो सकती है
आकस्मिक दुर्घटना ,आतंकवाद, जातिवाद
नारी उत्पीड़न शोषण अत्याचार
और भी कई वजहें
दर्द का असली एहसास तो
उसी को होता है सख्स जो
मौत को छाती से गुजरते देखा होता है ..........


जख्म चाहे जैसी हो
हर जख्म दर्द लिए होती है
दर्द में दहन होता है
दर्द का बोझ ढोने वाले शख्स के
जीवन के पल,टूटते है उम्मीदों के बांध ..........


बहती है गाढ़ी कमाई बाढ़ के पानी ककी तरह
थकता है हारता है मन
टूटता है बदन कराह के साथ
निचुड़ते है कायनात के नयन
आखिर में जीतती है हौशले की उड़ान
सच सुकरात हो गए महान ..........


दर्द के उमड़ते सैलाब के दौर में
ना पीये कोई जहर का घूँट
ले ले संकल्प,
ना बने हम किसी के दर्द का कारण
इंसान है इंसानियत खातिर
हो सके तो करें निवारण
क्योंकि दर्द बहुत दर्द देता है
दर्द एक आदमी का नहीं ,
उसकी कायनात का होता है .........

 

 


डॉ नन्दलाल भारती

 

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