|। देवदासी ।।
तुम्हें तो शर्म आती नहीं होगी
क्योंकि तुम भ्रम और डर
दिखाकर लूट लेते हो
आबरू.........
कर देते हो असहाय
पहना देते हो पांवों में बेड़ियां
हाथ में हथकड़ियां
बना देते हो जीवन नरक......
तुम धरम की खाल में
चटकाते रहते हो
तन के पोर पोर
करते रहते हो अय्याशियां
खड़ी करते रहते हो
नाजायज औलादों की कतार
कह देते हो देवदासियां........
तुम हो धरम के शत्रु
कैसे कह रहे हो खुद को
धरम के झण्डावरदार
कौन है वो धरम कैसे देता है
आदेश यौन शोषण की
पराई बहन बेटी की....
देवदासी का नाम देकर
कन्या का शील भंग कर
रात के अंधेरे मे मुह काला करना
कैसा देवत्व........?
देवदासी का नाम देकर
किसी कन्या का जीवन तबाह करने वालों
अपने खून के रिश्ते की
बहन बेटियों का शील भंग कर देखना
तुम्हें जरूर शरम आएगी
तुम समझ पराई बहन बेटी का दरद
डूब मरोगे शरम के समन्दर मे
ना होगी तब कोई देवदासी......
डां नन्द लाल भारती
30/10/2019
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