फरियाद(कविता )
तुम कितने नसीब वाले हो गए हो
हमारी उपस्थिति तुम्हें
अनजान सी लगने लगी है
हम से हमारी नवपौध
दूर दूर किए जा रहे हो
ताकि मनहूस छाया से दूर रहे
तुम कितने नसीब वाले हो गए हो......
तुम्हें शायद अब याद न हो
क्योंकि तुम ठग मां बाप की
विषकन्या के जाल को जीवन का
चरम सुख मान बैठे हो........
वक्त फुर्सत के कभी मिले तो
अपनी मां के बारे में सोचना
तुम्हें जो सूखे मे और खुद गीले मे
रात काटती थी हंसी खुशी........
तुम्हें शायद वो आदमी याद न हो
जो तुम्हारे लिए जीता था
हर ख्वाहिशें तुम्हारी पूरी करता था
खुद तरसते हुए भी खुश रहता था
क्योंकि विश्वास था उसे तुम पर
एक दिन हर लोगे सारे दुख
तुमने क्या किया....?
मां बाप के हिस्से की ख्वाहिशें
सास ससूर पर कुर्बान कर दिया
विषकन्या के आतंक से डरकर........
खैर तुमने जो किया है
अच्छा किया होगा क्योंकि तुम
उच्च शिक्षित हो और विषकन्या भी
हम जानते हैं तुम्हारी प्रकृति
विषकन्या के भय से खो चुके हो साहस
गर तुम ऐसे ही रहे तो और भी
बहुत कुछ खो जाओगे
विषकन्या की असलियत को जानो
ठग कुनबे को अब तो पहचानो........
बूढ़ी मां के आंसू बरसों बाद
बाढ़ के पानी सरीखे बह रहे हैं
पिता निर्जीव से पड़े
सपने सीने में लगे हैं
बिना तुम्हारे सहारे के जीने के
तरीके सीख रहे हैं
प्यारे याद रखना विषकन्या के
दबाव मे लिया गया तुम्हाराफैसला
एक दिन ठग कुनबे की जड़े
सूखा देगा.............
तुम्हारी तरक्की और तन्दुरूस्ती
आज भी बूढी आंखों की
रोशनी हैं और रहेगी
तुम चिंता ना करना
बूढ़े मां बाप जिस कदर जी रहे हैं
आगे भी जी लेगें
तुमने विषकन्या के दबाव मे
धकिया दिया है पर निराश्रित नहीं हैं वे
और भी अंगुली थामने वाले सर आंखों पर
बिठा रखें है प्यारे..............
तुम्हारी तन्दुरुस्ती और तरक्की की
बूढ़े करते हैं और करते रहेंगे कामना
तुम्हें ठगने और तुम्हारे सगे खून को
धोखा देने वालों की सात जन्म तक ना
पूरी होगी कोई मनोकामना
जिस प्रसव पीड़ा से गुजर रहे
तुम्हारे खून के रिश्तेदार
हजार गुना पीड़ा से गुजरेगें
ठग कुनबा और उसका सरदार...
प्यारे तुम्हें जब होश आ जाए
विषकन्या का जहर उतर जाए
अथवा ठग कुनबे के छल से
उबरने का साहस आ जाए
निश्छल मन से लगा देना गुहार
आ जायेंगे तुम्हारे खून के रिश्तेदार
तुम जैसे थे वैसे ही वापस आ जाना
विषकन्या के विष त्याग के बाद
सभ्य बहू के साथ
तुम्हारा सगा कुनबा मान लेगा फरियाद
ठग कुनबे का सदा के लिए त्याग कर
बूढ़े माता पिता का धरती छोडऩे से
पहले प्यारे ।।।।
डां नन्द लाल भारती
02/11/2019
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