Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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गरीब

 

 

धनिखाओं की बस्ती में ,
दौलत का बसेरा ,
गरीबों की बस्ती में ,
भूख,अभाव का डेरा.……
वही मुसीबतों की कुलांचे ,
चिथड़ो में लपटे शरीर ,
चौखट पर लाचारी ,
कोस रहे तकदीर ………
गरीबो की तकदीरो पर ,
डाके यहाँ ,
भूख पर रस्साकस्सी ,
मतलब सधते है वहाँ ……
मज़बूरी के जाल
उम्र बेचा जाता है ,
धनिखाओ की दूकान पर ,
पूरी कीमत नहीं है .......
बदहाली में जीना मरना ,
नसीब है ,
अमीर की तरक्की ,
गरीब, गरीब ही रह गया है

 

 


डॉ नन्द लाल भारती

 

 

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