आओ गीत नया गायें
देश नया बनांये
समानता-सदभावना की
बगिया सजाये
देश को धर्म बनाए
यही ख्वाहिश प्यारे
यही संकल्प दोहराए
शोषित-वंचित उत्थान
राष्ट्रहित में जीए
और
शान से मर जाए
आओ गीत नया गायें..................
तोड़ दे मन भेद की दीवारे
खोल दे बेड़िया सारी
बने विकास के रास्ते
दबे-कुचले की ओर हाथ बढाए
एक बने नेक बने
राष्ट्रहित ध्येय बनाये
आओ गीत नया गायें..................
जाति भेद-धर्मवाद क्या दिया
नफ़रत .............?
यही डंसा गुलामी इबारत लिखा
आज अत्याचार,भ्रष्टाचार है बढ़ा
वक्त की पुकार प्यारे
देश प्रेम और
शांति जीवन का आधार
उत्तर-दक्षिण-पूरब-पश्चिम
एक हो जाए
भारत माँता विहास जाए
आओ गीत नया गायें........
..........नन्द लाल भारती .
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