बूढ़े माँ बाप भींगना चाहते थे,
तुम्हारी खुशियों में,
पर क्या ?
तुमने दगा दे दिया,
फरेब में आकर
वहीं माँ बाप जो तुम्हारे
सुख के लिए दर्द ढोते रहे
रात दिन, भूखे -प्यासे
ढूढ़ते रहे सकून के कुछ पल
तुम्हारी खुशियों में
पर ये कैसी खता तुमने कर दिया
फरेब में फंस कर
धरती के भगवान माँ बाप को
दगा दे दिया।।।।।।।
तुम्हारे लिए सर्वस्व किया
न्यौछावर
तुम्हारा हर सपना जिनका
अपना सपना था
अपनी औकात से बढ़कर तुम्हारे लिए
सब कुछ तो किया
कर्ज़ के पहाड़ पर भी चढ़े तुम्हारे लिए
बदले में तुमने क्या दिया
आँसू..……......
तुम कैसे बदल गए
तुम्हारे लिए अपने बेगाने हो गए।
ये तुमने क्या कर दिया
अपनों को दगा दे दिया।
माँ बाप सब कुछ न्यौछावर करते हैं
कामयाबी के सपने रोपते है
जीवन कुर्बान करते हैं
औलाद में प्यार ढूढ़ते हैं
आंसू पीकर भी दुआ करते हैं.....…..
अरे फरेबियो को पहचानो
माँ बाप की ज़िंदगी में जहर मत बोओ
बूढ़े दर्द से बेमौत मर जाते हैं
ऐ भूले हुए पथिक
ना जाओ तपती रेत पर
गुमराह करने वाले तुम्हे लूटना चाहते है
माँ बाप तुम्हारी खुशियों में भीगना चाहते हैं
आ जा बसंत के झोंके सरीखे
समा जा दिल मे
तुम्हारे लिए सर्वस्व त्याग कर सपने
सजाने वाले माँ बाप भींग जाएं
खुशियों में।।।।।
डॉ नन्दलाल भारती
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