Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हिन्दी दिवस विषेश

 

 

आओ चलो तनिक
सरहदो के पार देखते है
राष्ट्र भाषा का प्यार देखते हैं
हम कहां ठहरे
कितना गुमान करते है
मिलेगी कहां हिन्दी भाषा सरस
मातृभाषा के प्रति
अनुराग देखते हैँ ....
..............
हिन्दी संतो की वाणी
रविदास की रमैनी
रस छन्द अलन्कार
गीतो लोकगीतो की खान
मीरा की वाणी
तानसेन की तान
हिन्दी खुसरो की राग
कबीर की साखी
अपना तो अनुराग
अमर शहीदो की ललकार
खून दो आजादी दूँगा
ज़य जवान ज़य किसान
रंग दे मां बासंती चोला
अब ज़य जवान ज़य विग्यान
क्या बोद्ध क्या जैन
क्या सिक्ख क्या हिन्दू
क्या मुसलिम क्या इसाई
सबकी है हिन्दी भाषा बोली
देश के माथे चन्दन रोली
दुनिया में हिन्दी का बढ़ रहा
का कीर्तीमान
विश्व बन्धुत्व की भाषा हिन्दी
जग में महान ........
...........
आदमी को परखना है तो
बस इतनी सी निशानी देखना
देश प्रेम मातृ भाषा की
दीवानी देखना
वक्त बदलता है
बदलती हैँ तस्वीरें
आजादी की कहानी देखना है तो
हिन्दी की जुबानी देखना ......
..............
हमे देश और अपनी हिन्दी
भाषा पर नाज है
निगाहों में बसता साज है
दीया बनकार जली
रात दिन हिन्दी
बनी आजादी की परिभाषा
ये है अपनी जुबान
अपनी हिन्दी भाषा
हिन्दी हमारा कल है
आज है
मातृ भाषा राजभाषा
राष्ट्र भाषा
हिन्दी पर हमे नाज है .....

 

 


ड़ां नन्द लाल भारती

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