हिन्दी जीवन थाती....
कल युग उथल-पुथल,स्वार्थ का जारी दौर
घायल हम अपनी भाशा और आजादी
हिन्दी लाओ देष बचाओ की हैं आंधी
माता,मातृभूमि और मातृभाशा को लेकर,
दिल में पलते जज्बात तूफानी,
ख्वाहिष,जहां में गूजे जय हिन्दी,
जय हिन्दुस्तानी,
जीवन ज्योति हिन्दी राश्ट्र की भाशा
अपनी है पहचान,
माता,मातृभूमि और मातृभाशा पर
क्यों ना हो जाये कुर्बान,
उपकार मातृभाशा का कैसे भूल जाउूं,
मातृभूमि पर हुआ अवतरण जब,
गूंजा घर-आंगन सोहर गान,
हिन्दी जय-विजय अपना स्व-मान,
राश्ट्र भाशा हिन्दी गगन सी छायी,
पांव पड़े धरती पर,जिह्वा हिन्दी में तुतलाई,
मां की ममता पिता का प्यार हिन्दी में पाया
जीओ और जीने दो का उद्गार में मातृभाशा में आया,
आजादी की भाशा हिन्दी सेतु,
विष्व गुरू का षोभित सम्मान,
बदले युग में पाये हिन्दी अपनी,
विष्व भाशा का मान,
घायल हम अपनी भाशा और आजादी
आगे आओ मान बढाओ,राश्ट्र गौरव हिन्दी भाशा
बनी रहे जीवन थाती..........
..डाॅ.नन्द लाल भारती
HTML Comment Box is loading comments...
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY