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हिस्से की लंगोटी

 
हिस्से की लंगोटी



हरि साहब-बड़े साहब का कक्ष बदल गया क्या ? साहब का रुम खाली है चन्द्रेश पूछा ।
गुरुजी आपको पता नहीं,बड़े साहब बहुत बड़े कक्ष में शिफ्ट हो गए, वेटिंग रुम सहित और भी बहुत सुविधाएं हैं हरि बोला ?
अच्छा..... बधाई ।
हमें क्यों ? बड़े साहब को दीजिए, आज बड़े कक्ष में विधिवत्  प्रवेश साहब ने किया  हरि बोला ।
विधिवत् प्रवेश से क्या मतलब ?  फीता काटा गया है क्या चन्द्रेश पूछा ?
नहीं.......उच्च शिक्षित, उच्च पदाधिकारी का कर्मकाण्ड कर दफ्तर प्रवेश  अल्पशिक्षित  कथावाचक के मन्त्रोच्चारण से  हुआ है हरिसाहब बोले ।
क्या कह रहे हैं चन्द्रेश बोला  ?
सही कह रहा हूँ। जाइए बधाई दीजिए, दलित कितना बड़ा साहब बन जाये पर पोथी पतरा नहीं छोड़ेगा ।

यह सही नहीं है। पोथी पर कम लोग विश्वास करते हैं, ज्यादातर संविधान पर विश्वास करते हैं हरिसाहब चन्द्रेश बोला ?
आपको नहीं पता क्या ? दलित समाज सुधारक छाती ठोंक-ठोंक कर कहते हैं दलित हिन्दू नहीं हैं बौद्ध हैं पर आपके साहब जैसे  लोग बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर के बलिदान को भूलाकर रुढिवादी राह को अपनी तरक्की मान रहे हैं ,सिर्फ नौकरी और तरक्की के लिए बाबा साहब और संविधान याद आता है बाकी बाबा साहब और उनकी प्रतिज्ञाएं कहां याद आती हैं ? हरिसाहब बोले।
कुकुरे अढ़ाई लबेदा, वाली कहावत स्वार्थी, बाबा साहब के मिशन को कमजोर करनेवाले चरितार्थ कर रहे हैं।काठ के उल्लू एक दिन लौटकर घर आयेंगे पर तब तक देर हो चुकी होगी चन्द्रेश बोला।
हरिसाहब बोले -जब तक स्वार्थियों की झूझी शान से मोहभंग होगा तब तक हिस्से की लंगोटी भी सरक चुकी होगी ।
नन्द लाल भारती
24/04/2022

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