होली अनावश्यक एंव हानिकारक वस्तुओं के मिटा देने का त्यौहार है ,होली एंव जागरूकता का उत्सव है . होली भीतरी और बाहरी गन्दगी को साफ़ कर मानवता-समता के निश्छल सदभाव में अभिवृध्दि का द्योतक है होली। निश्चय ही मन पर कचरा,जातीय भेदभाव ,विषमता एंव असमता के भाव का दाह कर स्व-धर्मी समानता ,बहुधर्मी सदभावना एंव मानवीय एकता की शपथ लेकर उमंग के साथ जीवन पथ पर अग्रसर होने का दिन होली है. गुण ,सद्कर्म स्वभाव की भिन्नता से मनुष्य उच्च और निम्न बनते है न कि जाति और लिंग से। होली का त्यौहार कर्मवीर ,श्रमवीर, निर्भय ,विराट और साहसपूर्ण जीवन जीन की सीख देता है। रचनाधर्मिता भी यही कहती है, अनेक मुश्किलो के बाद भी इसी राह पर समय के पुत्र चलते जा रहे है । होली का उत्सव बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव है। होली का उत्सव इस एहसास का भी बोध करता है। यही तो होली के अनेक रंगो के एकाकार होने का करिश्मा है। इस दुनिया में अमीर हो गरीब हो सभी को उचित एंव समान अवसर मिलना चाहिए परन्तु नरपिशाच रूपी मानसिकता जातीय भेद आदमी को सुख शांति से जीने नहीं देती। इस राक्षसी बुराई के दहन की ललकार है होली।धरती पर सद्कर्म ही पूज्य माना जाता है। होलिकोत्सव पिता के भी अनुचित आदेश को नहीं मानने की शक्ति प्रदान करता है। इस उत्सव को परमार्थ एंव सदकर्म से जोड़कर देखा जाना चाहिए। सद्कर्म ही तो है जो काल के गाल पर अमिट छाप छोड़ता है जातिभेद अथवा धार्मिक उन्माद नहीं।क्रियाशील एंव जागरूकता के प्रतीक इस उत्सव पर सुधिजनो से अपेक्षा है कि जनहित-राष्ट्र हित में कर्म ही धर्म है के सदभाव पर खरे उतरे जिससे मानवीय समानता और मानवता धरा पर कुसुमित हो सके होली का उत्सव बुराईयो के त्यागने का संकल्प दोहराने का दिन है। आज का दिन सामाजिक आर्थिक राजनैतिक बुराईयो का दहन करने, सभ्य मानवीय समतावादी समाज एंव राष्ट्र के विकास में सहयोगी बनने की शपथ लेने का दिन है।हमारी समतावादी सोच होगी तो यकीनन जग की भी होने की उम्मीद बनती है इन्ही धवल निश्छल समतावादी-राष्ट्रवादी मंगल कामनाओ के साथ आपश्री को होली की हार्दिक बधाईयाँ …
… डॉ नन्दलाल भारती
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