जीयेंगे या मरेंगे
कौन कहता है कि हाशिये का आदमी अभागा हूँ
सर्वसम्पन्न है, शरीर से मन से,
तन से भी,
खुश रहने के सारे उपायों पर
ग्रहण लग जाते है उसके
कोई जातिवादी उत्पाती कर देता है
प्रहार, कर देता है इंसानियत का
चीरहरण, योग्यता का बलात्कार भी
रह जाता है उत्पीड़ित आदमी
बेजान सा,थामें हाथों में जान
ये कैसी सजा आज भी जारी है
अघोषित करने को अपमान,
हाशिये के आदमी का बेटा होना
क्यों अपराध है 21वीं सदी में
बेटियां बिलखती क्यों आज भी ?
उंची कौम ,उंचे ओहदे का आदमी
करता कत्ल पल-पल सोच समझ कर
हाशिये का आदमी, ऊंची योग्यता
कर्मठ,फर्ज पर फना होने वाला
हिस्से ठोकरें, गोपनीय रिपोर्टे भी
कर दी जाती तार-तार,
कह दिया जाता कामचोर मक्कार
कैरिअर का कर दिया जाता
दाह संस्कार
अपमान-दुत्कार क्यों छिनता है
आज भी जातिवादी आदमी
जीने का अधिकार ?
इक्कीसवीं सदी है, अपना देश,
अपनी सरकार, अपना संविधान
हाय रे जातिवादियों कब तक ?
श्रम-योग्यता का चीरहरण करोगे
अरमानों का कत्ल करोगे
हाशिये के आदमी के आंसू से
अपनी जहां रोशन करोगे ... ?
अभी सोया है जब जागेगा
अपनी शक्ति की ओर ताकेगा
तानेगा जब तान,उठ बैठेगा
स्वाभिमान
संग लड़ेंगे-संग मरेंगे सब
हाशिये के लोग
तभी ये जातिवादी लोग शर्म से गड़ेगे
हाशिये के लोगों कर लो वादा सम्मान से जीयेंगे
या
सम्मान के लिए मरेंगे ।
डां नन्द लाल भारती
31/10/2020
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