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Dr. Srimati Tara Singh
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खुशी की बदरी

 
खुशी की बदरी

दीपदानोत्सव, 
दीवाली का शुभोत्सव है
आज....
आओ हम भी
एक दीया जलायें...
याद भी रखना है
दीया उस चौखट पर
सजायें
जहां से अंधेरे की 
गूंज दहक रही हो....
आंखों मे आस के
बिछे हो बिछौने
आंखों के रिसाव
लुढकने से पहले
बिछा दे कर-थाल.....
चमक उठे भूखे नयन
थम जाये
अंधेरे की गूंज
विहस उठे
अहकता मन 
मिल जाये
अपनेपन की 
सोंधी-सोंधी 
निश्छल खुशी......
पा जाये उम्र 
इंतज़ार में
मरती हुई खुशी
छंट जाये अंधेरा
महक उठे
रोशनी तंग जहां मे.....
एक दीया हम भी
जलायें
आदमियत के नाम
अंधेरी जहां को
रोशन जहां बनाये
अहकता मन
खुशी की बदरी में
नहा जाये
दीपोत्सव को 
मकसद मिल जाये
वायु, जल-जीवन 
और
पर्यावरण का मित्र हो जाये
धुआ और शोर पर पैसा
ना बिल्कुल ना बहाये ़
आओ एक दीया जलायें......
डां नन्द लाल भारती
04/11/2921

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