ख्वाबों की दुनिया आबाद है
आज भी,
आदमी को अछूत बनाने वालों
भेद दिया है चक्रव्यूह
सारी बंदिशों का तुम्हारी
बढऩे लगे विरासत की ओर
ना फुफकारने देगें
जुल्म जंजीरें नेस्तनाबूद कर देगें
हक अपना ले लेगें
अब जमींर ना मरने देगें
अपनी जहाँ मे समता भी मौज मनायेगी
जिस दिन अपनी जहां मे
छूत-अछूत की जगह
बस इंसान के घर
इंसान की औलाद,
पैदा होना शुरू हो जायेगी ।
डां नन्द लाल भारती
16/05/2020
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