लोकतंत्र का उद्देश्य
परमार्थ ,देश हित
मानव सेवा लोकमैत्री सदभाव
मानव को मानव होने का
सुख मिले भरपूर
शोषण अत्याचार ,भेदभाव
अपनी जहां से हो दूर,
शूद्र गंवार ढोल पशु नारी
ये ताडन के अधिकारी
अपनी जहा में ना गूंजे ये
इंसानियत विरोधी धुन
समानता राष्ट्रिय एकता को
अब ना डँसे
कोई नफ़रत के घुन
अरे अपनी जहां वालो
रिपब्लिकन यानि लोकतंत्र के
मर्म को पहचानो
संविधान को
जीवन का उत्कर्ष जानो
आओ कर दे ललकार
रिपब्लिकन विचारधारा
और
संविधान से ही होगा
अपनी जहां का उध्दार--------------------
डॉ नन्द लाल भारती
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