Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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माटी

 

लघुकथा : माटी
मम्मी  चाचाजी का फोन है लो बात करो ।
दीपिका बोली सदा खुश रहो छोटी बहन ।
दीया  दीदी आपकी दुआ दृष्टि सदा बनी रहती है।
क्यों कोई परेशानी है क्या दीया दीपिका बोली ?
दीदी मन बहुत उदास है दीया बोली ।
दीपिका -हुआ क्या बहन ?
सोखा बाबा मर गए दीया सिसकते हुए बोली ।
सन्तू सोखा बाबा………..? दीपिका पूछी।
दीया -हां दीदी ।
टीबी जान ले रही है  इस युग मे भी ।
टीबी तो थी पर टीबी से मरे नहीं हैं  दीया बोली ।
फिर कैसे मर गए सोखा बाबा …..?
दीया -भूख से ।
क्या भूख से………?
हां दीदी भूख से दीया बोली ।
कैसे यकीन करूं कि सोखा बाबा भूख से मर गये आज के जमाने में दीपिका बोली ।
दीदी सोखा बाबा खटिया मे सट गए थे ।सोखायिन बहुयें और बेटे खरीखोटी सुनाते रहते थे । कल शाम को छोटा बेटा सदाव्रत बहुत झगडा किया। सोखा बाबा बहुत दुखी हो गए थे ।रात में आठ बजे सोखायिन खाना लेकर गयीं बाबा पूछे सदाव्रत खा लिया ।
नहीं खा रहा है सोखायिन बोली थी ।
जब तक सदाव्रत नहीं खाएगा तब तक मै भी नहीं खाऊंगा सोखा बाबा बोले और सोखायिन थाली लेकर वापस चली आयी। सदाव्रत जिद पर अड़ा रहा आखिर कर बेचारे सोखा बाबा भूखे रात मे मर गए।
बाप रे ये कैसी सजा सदाव्रत ने दे दिया दीपिका बोली ।
भगवान सब देख रहा है, उसके घर मे देर है अंधेर नहीं। घरवाली के आते ही श्रवणकुमार कंस बन जा रहे हैं । दीदी फोन रखती हूँ सोखा बाबा की माटी उठ रही है  दीया बोली ।
हे भगवान किसी भी मां बाप को ऐसी बेरहम मौत और ना ऐसी औलाद देना कहते हुए फोन रख दी ।
डां नन्द लाल भारती
20/08/2019

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