मन्नत कर रहा हूं
एक जनवरी जन्मदिन है मेरा
सच क्या है मुझे नहीं मालूम,
दस्तावेज तो यही कहते हैं
मैं और मेरे लोग भी
यही मानते हैं अब,
सच नहीं मालूम
जन्म हुआ है तो तिथि भी होगी
असली तिथि नहीं मालूम
यही तिथि एक जनवरी पर,
मुहर लग चुकी है,मान्य भी है
यह दिन मेरे जीवन के,
लेखा-जोखा का दिन होता है
क्या पाया क्या खोया ?
पाया भी हूं और खोया भी
सकूं है अपने होने पर
बड़ी उपलब्धि यही है
मैं........मैं आज भी हूं
अपने आवरण में बढ़ रहा हूं
उम्र नित घट रही है,
एहसास है,
कर्तव्य भी याद हैं अपने
बहुत कागज कोरे पड़े है
अभी भी.....
फर्ज के रंग बाकी हैं भरने
मुझे यह भी ज्ञात है,
बसंत जितने देख लिये हैं
उतने अभी बाकी नहीं हैं
मन्नतें भी अपनी है
समाज के लिए कुछ कर गुजरने की
अनभिज्ञ नहीं हूं,
आंखें खुली तब से ही मन्नतें जीवित हैं
शब्दों की फसल तैयार तो हो गई
विरासत के परे जाना चाहता हूं
जोड़ना चाहता हूं यादगार कुछ
मन्नत पूरी करना चाहता हूं
समाज के लिए
जलते रहे संकल्प के दीये
विश्वास में बढ़े जा रहा हूं
सीये जा रहा हूं
वर्ष २०२४, सुख-शांति सम्वृद्धिदायी हो
यही मन्नत कर रहा हूं।
नन्दलाल भारती
01/01/2024
वर्ष २०२४, सुख-शांति और समृद्धिदायी हो, नूतन वर्ष २०२४ की हार्दिक बधाई एवं मंगलकामनाएं।
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