Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मीठी मीठी बातें

 
मीठी मीठी बातें, अपनत्व की बरसात
खो गए प्रेम रस मे, प्यारे मन के प्रपात
मीठे जहर का सौदागर बांध दिया गांठ
रिश्ते की डोर अटूट,अमानुषता का घात
लूट गये ख्वाब, खंडित के रिश्ते के धागे
कैद फंसे सपने,चटक गए रिश्ते के धागे
माथा पीटते,बिखरे सपने जोड़ते बचे प्यारे
सुनठग जग जड़ेगा चरणपादुका माथ तुम्हारे
विष को अमृत बनाकर कैद किया राजकुमार
थके ढोते ढोते दर्द सात जन्म तक ना हो उध्दार
सपने छिने जिसके जहर के सौदागर तुमने
वो आदमियत का राही,कर दिया महापाप तुमने
जी लेगा इंसानियतपसंद,
फूटेगे कुनबे के भाग्य तुम्हारे
हे विष के सौदागर अब तो चेत जा
वरना बद्दुआएं बुझा देगी दीप तुम्हारे।
डां नन्द लाल भारती

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