दिन बचपन कीं अटखेलियां षुरू ही किया था कि अचानक धूल भरी आंधी का ताण्डव षुरू हो गया । कच्चे घरांे की खपरैलें तिनके की तरह उड़ने लगी,जमीन गिरते ही कई टुकड़ो में बिखरने लगी ।मड़ई और छप्परें दीवालांे की पकड़ से ऐसे दूर जानेे लगी जैसे कोई षैतान अपनी ओर खींच रहा हो । इसी ताण्डव के बीच मुनिया रोते कराहते आ गयी और रघुनन्दन का पैर पकड़कर रोने लगी । मुनिया की दषा देखकर रघुनन्दन के पैर के नीचे से जैसे जमीन घिसक गयी ।वह मुनिया को चुपकराते हुए खुद रो पड़ा । रघुनन्दन को रोता हुआ देखकर मुनिया अपने आंसू भूलकर उनके आंसू पोछते हुए बोली नाना ना रोओ । अगर तुम इस तरह रोओगे तो मेरा क्या होगा ? मुनिया के आंसू पोछने पर भी रघुनन्दन के आंसू थमने के नाम नही ले रहे थे ।
आंसूओं को गमछे में दबाते हुए रघुनन्दन बोले बीटिया इतना सबेरे क्यों आयी घर में तो सब ठीक हैं । तेरे पापा कहां है । वे ठीक तो है ।
मुनिया-हां ठीक है उनकों क्या होगा ? मां को तो खा ही गये अब हमे खाने पर लगे है । मैं भी भाग आयी नाना।
रघुनन्दन- बीटिया तू भागकर आयी है क्या ?
मुनिया-हां नाना मां के बाद नानी फिर दादी चल बसी । मैं तो अनाथ हो गयी । बाप का घर मेरे लिये जेल हो गया था नाना । मुनिया बयान कर दहाड़े मार मार कर रोये जा रही थी ।
रघुनन्दन- बीटिया तू कैसे अनाथ हो सकती है । अभी तेरा नाना तो जिन्दा है ।
रघुनन्दन मुनिया को चुपकराने का प्रयास कर रहे थे पर मुनिया के आंसू थमने के नाम नही ले रहे थे । तेज हवायें जैसे मुनिया के रोने की आवाज दूर दूर तक पहुंचाने के लिये चल रही थी । मुनिया का क्रुन्दन आसपास की बस्ती के लोगों के दिलों पर दस्तक दे दिया । कुछ ही देर में रघुनन्दन के दरवाजे पर मेला लग गया । मुनिया की विक्षिप्त जैसी दषा देखकर सभी के आंखों में खून उतर आया ।
रघुनन्दन पुन- बोला बीटिया जा मुंह हाथ धोले । तू अपने बाप के लिये भले ही बोझ लग रही हो पर हमारे लिये नही । तेरी परवरिस हम करेगे । मत रो बीटिया । मेरा कलेजा फटा जा रहा है ।
डंगरी मुनिया के आंसू अपने पल्ल्ूा से पोछते हुए बोली बीटिया कब की चली थी कि किरीन फूटने से पहले आ गयी । अरे दस कोस की दूरी कम तो नही होती ।
म्ुानिया रोते हुए बोली- नानी मुर्गा बोलने से थोड़ी पहले भागी थी जान बचाकर।
कुमौती-बाप रे बीटिया को बाप के घर से भागना पड़ रहा है । लगता है बीटिया दाना पानी को तरस गयी है । देखो ना हाड़ हाड़ हो गयी है । भगवान बिन मां की बेटी पर कैसी मुसीबत डाल दिये है । लगता है जेल से भागकर आयी है । मां के मरते ही बाप ने ही बेटी की जीवन में मुट्ठी भर आग भर दी सौतेली मां लाकर । मां सौतेली है बाप तो नही । एक बेटी की परवरिस नहीं कर पा रहा है ।
मुनिया सिसकते हुए बोली मामी छोटी में स्कूल जाना तो कब की बन्द करवा चुकी है । गोबर कण्डा बिनवाती है । घर का सारा काम करवाती है । कितनी भी बीमार क्यों न रहूं पर चाकरी से मिनट भर की मोहल्लत नहीं। खुद महारानी जैसे पड़ी रहती है । खटिया पर खाती है । मुझे कहती है अढाई सेर एक टाइम खाने को चाहिये कहां से आयेगा । मजदूरी करने को कहती है। बात बात पर मारती है । पापा के कान भी रती रहती है । पापा छोटी मां की सुनते है । मेरे आंसू को दिखावटी समझते है ।
कुमौती-बाप रे नन्हीं सी जान के साथ इतनी नाइंसाफी ।मां के मरते ही मुनिया मजदूरन हो गयी बाप के घर में ।
डंगरी-बाप तो अच्छा कमाता खाता है । इसके बाद भी नन्ही सी मुनियां को से चाकरी करवा रहा है नालायक कहीं का । बेटी राह की कांटा बन गयी है । बीटिया को रास्ते से हटाना चाह रहा है । षैतान को कीड़े पडे़गे देखना । बेटी तो देवी का रूप होती है । देवी समान बेटी को रक्त के आंसू मिल रहा है वह भी बाप के घर में ।हे भगवान ये कैसा बुरा समय आ गया है ।
खटरी-बाप से ज्यादा देाशी तो सौतेली मां है । उसी की दिया हुआ जख्म मुनिया के तन से झलक रहा है । मां के मरने से पहले यही मुनिया नालायक बाप के लिये षुभ थी आज खटकने लगी है ।प्रताड़ित कर रहा है नालायक दूसरी पत्नी के साथ मिलकर । ये कैसी सजा दे रहा है अपनी औलाद को एक सगा बाप , अगर बीटिया किसी बदमास के हाथ लग जाती तो क्या होता ? बेचारी की खबर भी ना लगती । आजकल तो सुनने में आ रहा है कि बदमास बच्चों को अंग-भंग कर भीख तक मंगवाते है ।भागवान एक अनाथ को बचाकर बड़ा उपकार किया है ।
रघुनन्दन डांटते हुए बोले -खटरी तेरा दिमाग तो ठीक है । तू क्या कह रही है मुनिया मेरी नातिन है अनाथ कैसे हो सकती है ?
खटरी-जेठ जी ठीक कह रहे हो । अगर बीटिया के साथ खुदा ना खसते कुछ हो जाता तो । कहां ढूढते कहीं नामो निषान मिलता क्या ? आजकल आदमी के वेश में कितने भेड़िये घूमते है । आपको पता है । खैर पता भी कहां से होगा घर छोड़कर कहीं गये भी तो नही । दुनिया में क्या हो रहा कैसे खबर लगेगी । मुसीबत की मारी भोलीभाली लड़कियों को पहचान कर दो जहर मिश्रित षब्द बोलकर अपने जाल मे फंसा लेते है दरिन्दे। बेचारी लड़की का जीवन नरक बन जाता है । आत क्या जानो । औरत का दर्द ।
रघुनन्दन-सब जानता हूं । मुझे खबर ही नही लग पायी कि मेरी नातिन के साथ चाण्डाल ऐसा दुवर््यवहार कर रहे है । मुझसे तो बहुत चिकनीचुपड़ी बाते करते थे । भगवान तेरा लाखलाख षुक्रिया मेरी नातिन को सही सलामत यहां तक पहुंचा दिया । अब मेरी नातिन उस चाण्डाल के चैखट पर थूकने तक नही जायेगी।हम परवरिस करेगे अपनी नातिन की ।
मुनिया-नाना कभी ना जाउूंगी पापा के घर यहां से ।दादी जिन्दा थी तो ख्याल रखती थी । इसके बदले उसके भी कभी कभी दाना पानी बन्द हो जाते थे । दादी अपने हिस्से की रोटी मुझो खिला दिया करती थी । नाना,दादी के मरते ही छोटी मां और मेरे पापा तो जैसे मेरे दुष्मन बन गये है । छोटी मां तो कई बार मेरी वजह से दादी पर हाथ उठा दी थी । दादी के मरते ही भूखी षेरनी हो गयी है ।
रघुनन्दन- बीटिया तू चिन्ता ना कर । तुझे षैतानों से दूर रखूंगा ।
डंगरी-हां मुनिया तुमको यहां कोई तकलीफ नही होगी तेरे मामा-मामी कितने अच्छे है । तुमको अपनी बेटी जैसे ही रखेगे प्ढायेगे लिखायेगे । तुमको तेरे पैरों पर खड़ा होने लायक बनायेगे मुझे उम्मीद है ।
म्ुानिया- हां नानी मैं जानती हूं । मामा-मामी का दिया कपड़ा तो जब से पैदा हुई हंू तब से ही पहन रही हूं । मेरी मां का ख्याल मेरे पापा ने रखा होता तो मां नही मरती । यहां तक मां की बीमारी की खबर तक नही आने देते थे पापा । मेरी मां को तड़पा तड़पा कर मार डाला ।मेरी मां की लाष को तो मेरे बाप ने गज भर कफन भी नही दिया । सब क्रिया कर्म तो नाना के घर हुआ था । नानी मुझे याद है भले ही मै छोटी थी । अब मुझे मारने पर तुले है छोटी की साजिष में फंसकर । मां अगर भागकर न आती तो मेरी छोटी मां मुझे मरवा कर फेंक देती या कहीं बेंच देती ।
झिंगुरी-बेटी ऐसा ना बोल । भगवान किसी बच्चे के साथ ऐसा अन्याय न होने पाये ।
मुनिया-हां नानी ठीक कह रही हूं । दादी के मरते ही मेरा स्कूल का बस्ता खूंटी पर टंग गया । मुझसे गोबर कण्डा बिनवाया जाने लगा । नाना जाते तो छोटी मां कहती बीटिया टयूषन गयी है । कभी स्कूल गयी है का बहाना बनाती । मुझे तो स्कूल जाने की इजाजत ही नही थी दादी के मरने के बाद । चूल्ह चैका गोबर कण्डा बिनने के काम में लगा दिया था पापा ने छोटी मां ने ।
खटरी-कैसा जल्लाद बाप है अपने खून के साथ इतना बड़ा अन्याय ।
गोठू-बीटिया बाप की कैद से आयी है । देखो उसके पैर लहूलुहान हो रहे है । हाथ पावं धुलाओ । कुछ दाना पानी कराओ । बेचारी कितनी डर के मारे सहमी हुई है ।
लौटू-ठीक कह रहे हो गोठू । ये औरते जहां इक्ट्ठा हो जाती है वही पंचायत षुरू ।
डंगरी-बेचारी की दषा को देखकर सब भौचक्के है लौटू भइया । सभी का दिल रो रहा है । तुम औरतों पर अपयष लाद रहे हो । देखो सौतेली मां का खौफ मुनिया की आंखों में । कैसे जान बचाकर आयी है असली दास्तान तो मुनिया को ही मालूम है ना ।देखो बेचारी मुनिया का क्या बुरा हाल कर दिया है सगे बाप और सौतेली मां ने ।
गोठु- मुनिया की दादी जीते जी आंच नही आने दी । बेचारी गांती बांधी रही । स्कूल भी भेजती थी । मुनिया को टांटी की तरह मुनिया के चारों ओर छायी रहती थी । खुद भूख्ेा पेट रह जाती थी पर मुनिया को भूखी नही रहने देती थी । बेचारी मुनिया के उपर एक एक विपत्ति आती जा रही है पहले मां मरी ,नानी मरी फिर दादी,दादी के मरते ही सौतेली मां ने बीटिया मुनिया को सड़क पर लाकर पटक दिया ।
लौटू-यह तो मुनिया की सौतेली मां की साजिष है । वह जिस बच्चे को पैदा की है उसकी परवरिस कर रही है । मुनिया की रोवन रोटी कर दी है । बेचारी मुनिया कितनी प्रताड़ना सही हैं अपने बाप के घर में । जब असहनीय हो गयी है तब भागकर आयी है । यह काम पहले कर लेती तो ये हाल तो ना होता । लिखना पढना भी तो जानती है बैरन चिट्ठी ही डाल देती । रघुनन्दन भइया पहुंच जाते ।अपने साथ लेकर आ जाते ।
गोठु- बेचारी से कैसे वक्त ने मुंह मोड़ लिया है अपने दुष्मन हो गये है ।मुनिया को इसकी मां ज्योति तेज हवा तक नही लगने देती थी । आज देखो वही मुनिया आग का दरिया तैर कर यहां तक पहुंची है । अरे पूरी बस्ती के लोग टांटी बने हो । मुनिया की हाल देखकर सभी कोस रहे पर उसके पैर को तो देखेा कितना बड़ा घाव हो गया है कहीं षीष धंस गया है । दवा दारू का बन्दोबस्त तो करो ।
खटरी-हां बेचारी के पैर से बहुत खून बह गया है । अब तो खून भी सूख गया है । यह मुनिया उसी ज्योति की बेटी है जो तनिक भर इसके रोने से ही रो उठती थी । एक बार तो मुनिया के कान में दर्द हो रहा थ तब ज्योति ने चूहे को भूनकर तेल निकाली और मुनिया के कान में डाली थी । सुना है तब से मुनिया का कान कभी दर्द नही किया । आज मुनिया का क्या हाल बना दिया है उसके सगे बाप और सौतेली मां ने लावारिसों जैसे छोड़ दिया है। ननिहाल वालों ने सिर पर बिठा रखा है ।
भोपू-खटरी कुछ भी बोल जाती है मुनिया लावारिस कैसे हो गयी । नाना,मामा-मामी सभी तो है । मुनिया की परवरसि अच्छी तरह करेगे ।
रघुनन्दन छोटी बहू से बोले सोनिया तू तेा उठ जा एक लोटा पानी और दातून तो दे मुनिया को । बेचारी भूखी प्यासी है ।कुछ खिला बाते तो बाद में करती रहना । देख तूफान थम गया है । मै खेत जाकर देखू गेहूं के बोझ उड़ गये या बचे है । मड़ई तो उड़ गयी । मुर्गी मुर्गे ना जाने कहां तूफान में उड़ गये । यह भी भारी तबाही हो गया । पेड़-पालों उख़ड़ गये है । देखू तो सही मुंह का निवाला कुछ बचा है या तूफान की भेट चढ गया ।
सोनिया- बाबूजी खेत देख आओ । मैं बीटिया को नहला ध्ुाला कर खाना खिलाकर दवा दारू करवाती हूं कहते हुए सोनिया मुनिया का हाथ पकड़कर उठाने लगी ।
मुनिया- रूक जा मामी थोड़ी देर और इसके बाद नहाती धोती हूं । पहले कुछ खाने को दो कई दिन की खायी हूं ।
सोनिया-अरे काजल दीदी के लिये दातून तोड़ ला तो ।
काजल- हां मां लाती हूं ।
सोनिया थाली में पानी लेकर आयी और जर्बदस्ती मुनिया का पेर थाली में रखकर धोने लगी । तनिक भर मेें थाली का पानी लाल हो गया । मुनिया के पैर में बडा़ जख्म जो था । कई कांटे भी धंसे थे । सोनिया मुनिया का पैर धोकर नीम की पत्ती उबाली फिर नीम के पानी से मुनिया के पैर के जख्म को साफ की मलहम लगायी ।
सोनिया काजल से बोली बेटी दीदी कोे गुड़ दाना दो खाकर पानी पी ले ।मैं झटपट रोटी सेंक लेती हूं । बीटिया भूखी प्यासी है । देखना बीटिया घाव पर मक्खी न बैठने पाये ।
मुनिया-ठीक है मामी ।
धीरे धीरे महीने बित गये पर मुनिया का बाप हलकू थाह पता नही लगाने आया । नयी दुल्हन की मनौती पूरी हो गयी । मुनिया का बोझ सिर से उतर जो गया था । मुनिया के दिल में सौतेली मां का डर बैठा हुआ था । घाव ठीक हो चुका था तन पर सडें कपडें नाना के घर आते ही बदल गये थे । दुखी मन पर खुषी दस्तक देने लगी थी । मुनिया नाना के घर में खुष थी । काजल मुनिया की साया बन चुकी थी पूरा ख्याल रखती थी ।
डगरी-मुनिया तू आज बहुत खुष है कोई आने वाला है क्या ?
मुनिया-तेरा बाप और नई मां ।
काजल-बड़ी मम्मी क्यो गिध्द नजर लगा रही हो । गिध्दो को न्यौता दे रही हो । कसाई को देखकर गाय खुष होगी क्या ?
डंगरी-बाप रे देखो बीता भर की छोकरी कितनी बड़ी बात कह गयी ।
इतने में लालगंज तरवां माग्र पर उ.प्र. परिवहन की बस रूकी और सवारी उतारकर आगे बढ गयी ।इतने में काजल काजल की आवाज रघुनन्दन के कानों को छूने लगी ।
रघुनन्दन-देख काजल तुमको कोई बुला रहा है क्या ?
काजल-अरे दादा बडे पापा आ गये ।
रघुनन्दन-राजू आ गया क्या ?
मुनिया-हां नाना बड़े मामा है ।
काजल राजू को देखते ही दौड़ लगाकरसड़क पर पहुंच गयी । वह एक हाथ से राजू का हाथ पकडी और दूसरे हाथ से झोला । मेरे पापा आ गये मेरे पा आ गये कहते ,चहकते घर आ गयी ।
राजू अपने पिता का पैर छुआ । इतने में काजल खटिया खींच लायी और राजू का हाथ पकड़कर बैठायी । राजू केे बैठते ही मुनिया आ गयी और राजू को पकड़ कर जोर जाोर से रोने लगी । राजू मुुनिया के सिर पर हाथ फेरते हुए बोला कब की आयी हो बीटिया ।
राजू को देखकर डंगरी आ गयी और बिन पूछे मुनिया की सारी दास्तान सुना दी । मुनिया की दास्तान सुनकर राजू की आंखों में सावन भादों उमड़ पड़ा । राजू मुनिया के सिर पर हाथ रखकर बोला बेटी तू समझ ले तेरा मुर्दाखोर बाप भी मर गया तेरे लिये । तेरी परवरिस हम करेंगे । मुनिया और राजू को रोता हुआ देखकर रघुनन्दन भी अपने आंसू को नही रोक पाये । पूरे परिवार को रोता हुआ देखकर काजल बोली देखो दीदी आज सभी कितने खुष है तुमको पाकर सब साथ में रो रहे है ।
रघुनन्दन-हां बीटिया ये गम के नही खुषी के आंसू है ।
डां.नन्दलाल भारती
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