लघुकथा : मुराद
मालकिन भौजाई पांव लगूं l
सदा सुखी रहो देवरबाबू।
भौजाई सब ठीक ठाक है।आप तो खुश होगी।
हां बाबू बहुत खुश हूँ।
भौजाई बहू सेवा-सत्कार अच्छी तरह से करती है?
हां बाबू खूब करती है।
भौजाई मुझे वर दो ।
मांगो वत्स क्या वर चाहिए ?
भौजाई चाह तो रहा था,आप जैसी संस्कारवान, अच्छे परिवार की बहू पर अब नियति बदल गई ।
मांगो वत्स क्या चाहिए ?
आपकी बड़ी बहू जैसी उंच्चशिक्षित संस्कारवान, गुणवान,अच्छे खानदान की बहू भौजाई ।
भौजाई चुप क्यों हो गई, आशीर्वाद दे दो ना ?
देवरजी अग्नि परीक्षा क्यों ?
भौजाई जब से आपकी बहू आई है, तब से आपकी और परिवार की खुशी लूट गई है। बहू ने बेटवा का जीवन भी बहू ने नरक बना दिया है। लव टू मदर -फादर गुदवाकर प्रदर्शन कर रही है। विवाहित सभ्य परिवार की बेटियां तो ऐसा नहीं करती।
भौजाई तेजाब के दरिया मे डूबकर भी बहू के बारे जितना कुछ बढियां आप कहती हैं अगर वैसी होती तो सचमुच वफादार बहू होती पत्नी होती। कौन चाहेगा ठग परिवार की ठग बहू ?
भौजाई हमें तो आप जैसी बहू चाहिए जो परिवार को जोड़कर रखें,घर परिवार की खुशहाली में कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढे। पति सास-ससुर घर-परिवार के सदस्यों को सम्मान दे।ऐसी बहू का आशीर्वाद दो भौजाई ।
पलकों पर उमड़ रही बाढ को काबू करते हुए अनिता बोली देवरजी आपकी मुराद परमात्मा पूरी करें।
डां नन्द लाल भारती
27/01/2022
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