Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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नया सफर

 
नया सफर

मुरली  रो रहे थे  क्या कामताबाबू पूछे ?
बागबान पिक्चर का सीन रूला दिया,इसलिए मन हल्का करने के लिए टहलने के लिए निकल पड़ा हूँ मुरली भाई बोले।
पिक्चर देखकर आंसू कामताबाबू बोले?
बागबान तो पिक्चर है, यहां तो रियल लाईफ में हो रहा है ।
क्या कह रहे हैं मुरली कामता प्रसाद बोले?
सही सुने,मै खुद के बच्चों का जीवन बनाने मे अपना बर्बाद कर लिया मुरली बोले ।
कान्हपुर वाली बहू गुनाह की देवी बन गई  क्या कामताबाबू बोले  ?
मुरली -  पांच साल से बेटा बेगाना हो गया है, सुना है साल भर का पोता भी हो गया है ।सब कुछ बिखर गया है ।मान,सम्मान, खुली आंखों के सपने तक लूट लिए हैंं कान्हपुर के ठग मां -बाप और उसकी बेटी ने।
क्या ......इतना बड़ा दुःख का बोझ ढो रहे मुरली ?
ढो रहा था पर अब नहीं मुरली बोले ।
क्या गुनाह की देवी को बेटे ने त्याग दे दिया कामताबाबू बोले ?
कामताबाबू ऐसा न बोलो ।
क्या किया दुख से उबरने के लिए कामताबाबू बोले ?
जीने का नजरिया बदल दिया और मान लिया कि सुखी जीवन के लिए किसी से उम्मीदें न पाले। अब हम दोनों ने सन्नाटो से लड़ने के लिए बूढी आंखों से नये सपने देख लिए हैं ।हमसफर साथ है कट जायेंगे रस्ते , हमसफर है तो सब कुछ है नये सपने, नयी उम्मीदें नया जीवन ।
वाह मुरली वाह नया सफर मुबारक कामताबाबू बोले ।
डां नन्द लाल भारती
08/08/2020 





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