Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

नीची जाति

 

दुनिया छोटी होती जा रही है पर लोग नहीं बदल रहे है ,तवज्जो मिलने लगती है तो पाँव जमीन पर नहीं पड़ते।
किसकी बात कर रहे हो।
कैद नसीब का मालिक किसी की बात कैसे कर सकता है। अकसर लोग करते है।
जी प्रसाद की बात कर रहे हो क्या ?
नहीं ----?
जी प्रसाद साहब की सेवा में जुटा है। गुट बदल लिया है। उसके गाड फादर का तबादला हो गया है। जानते नहीं हो क्या ?
जानकर क्या करूँगा मेरा तो कोई गाडफादर है ही नहीं नीली छतरी वाले के सिवाय।
अच्छी बात है। जी प्रसाद दो लोगो का लंच लेकर आता है। सीधे चला जाता है। इसलिए खफा हो क्या ?
लंच लेकर आता है मतलब।
जल्दी में होता है।
कहीं लंच के अपवित्र होने का डर तो नहीं।
हो सकता है।
कैसे वी कुमार बोले।
सेवादास नीची जाति का नहीं है क्या ?

 

 


डॉ नन्द लाल भारती

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ