अरे चन्दा के पापा अखबार पढ रहे या अफसोस जाहिर कर रहे हो। तुम्हारी आंखे डबडबायी हुई क्यों है । भाग्यलक्ष्मी चाय का प्याला पति ब्रहमदत्त के सामने रखते हुए बोली ।
ब्रहमदत्त-ठीक कह रही हो भागवान । आज का आदमी मुर्दाखोर हो रहा है ।दोस्त पर सगे रिश्तेदारो से ज्यादा यकीन लोग करते थे । आज दोस्ती के दामन पर लहू के निशान छोड़ने लगे है आजकल के मुर्दाखोर दोस्त । खुद की खुशी का कैनवास दोस्त के लहू से सजाने लगे है ।
भाग्यलक्ष्मी- क्या कह रहे हो। सबेरे सबेर तो ‘ाुभ ‘ाुभ बोलो ।
ब््राहमदत्त अखबार सरकाते हुए बोला लो खुद की आखों से देख लो । यक दरिन्दा दोस्त खुद को मृत साबित करने के लिये दोस्त की हत्या कर दी मोटे मोटे अक्षरों में छपा है और साथ में बेचारे चन्द्रशेखेर की फोटो भी छपी है ।
भाग्यलक्ष्मी-ये क्या हो गया । ये तो सतीश के रिश्ते का भाई है । दरिन्दें ने बेचारे को मार डाला । अच्छा चित्रकार था । भला इंसान था ।अपनी चन्दा को बहन मानता था सतीश की तरह । हे भगवान कसाईयों को बहुत बुरी मौत देना । दरिन्दें बेसारे के बूढे मां बाप की लाठी तोड़ दिये उनके सपनों में आग भर दिये ।
ब््राहमदत्त-अच्छा चित्रकार था आगे चलकर देश का नाम दुनिया में रोशन करता। दोस्त की नजर लग गयी बेचारा बेमौत मारा गया ।
भाग्यलक्ष्मी-सृजनकार तो सचमुच जगत का भला चाहने वाले इंसान होते है ।दलप्रपंच से इन लोगों का कोई लेना देना नही रहता । सद्भावना में बह जाते है। खुद का भला बुरा तक नही सोचते ।
ब््राहमदत्त-भोलेपन का शिकार हो गया । किसी के ब्याह में गया था । ब्याह के जश्न के बाद उसे हास्टल पहुंचना था पर वह दोस्त के यहां चला गया । दोस्त दरिन्दा साबित हुआ । कैसा घोर कलयुग आ गया है दोस्त हत्या करके जला दिया । लाश की जगह नरकंकाल पुलिस को बरामद हुआ था । पुलिस की महीने भर की भागदौड़ के बाद तो मामले पर छाये घने कुहरे छंट पाये है ।
भाग्यलक्ष्मी- अखबार पढकर बताओ बेचारे निरपराध चन्द्रशेखर को किस वजह से मारकर जला दिये ।
ब््राहमदत्त-दरिन्दे येागेश और संजय ने ‘ाराब में जहर मिला दिया था । इसके बाद पीट पीट कर मारा था ।
भाग्यलक्ष्मी-भगवान दरिन्दों को इससे भी बुरी मौत देना । कोई दरिन्दा पकड़ाया की नही । इन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलने चाहिये । आजकल तो न्याय के मंदिर में भी जाने अनजाने अन्याय होने लगा है । पैसे वाले और ‘ाातिर बच निकलते है ।
ब््राहमदत्त-दरिन्दों कानून के हाथ से बंच तो नही पायेगे क्योंकि कानून के हाथ बहुत लम्बे होते है । हां यह बात मायने रखते है कि कानून के रखवाले अपने फर्ज पर कितने खरे उतरते है । दो दरिन्दों पुलिस के हत्थे तो चढ गये है तीसरा दरिन्दा अभी पुलिस को चकमें दे रहा है ।खैर बकरे की मां कब तक खैर मनायेग एक ना एक दिन दरिन्दा पकड़ा तो जायेगा । यह तीसरा दरिन्दा खूनी संजय है जो मकान मानिक का बेटा है जिस मकान में चन्द्रशेखर की हत्या कर जलाया गया था ।
भाग्यलक्ष्मी- बेचारे का दरिन्दा क्या मार डाला ? क्या बिगाड़ा था बेचारा चन्द्रशेखर । क्यों मारा बेचारों को दरिन्दों ने रहस्य से पर्दा उठा कि नहीं अखबार पढकर बताओं ।
ब््राहमदत्त-उठ गया है ।
भाग्यलक्ष्मी- पढकर सुनाओ दिल बैठा जा रहा है ।
ब््राहमदत्त-क्या सुनाउू ?
भाग्यलक्ष्मी- अरे किस कारण से दरिन्दों ने चन्द्रशेखर की हत्या की । बूढे मां बाप की लाठी तोड़ दी । जब हत्या के रहस्य से पर्दा उठ गया है तो सब कुछ तो छपा होगा की नही ?
ब््राहमदत्त-चन्द्रशेखर के कत्ल के पीछे औरत है । एक औरत को पाने के लिये यह कत्ल हुआ है ।
भाग्यलक्ष्मी-क्या.......?
ब््राहमदत्त-ठीक सुनी है देवीजी औरत के लिये ।
भाग्यलक्ष्मी-पूरी बात पढ़कर बताओ ।
ब््राहमदत्त-सुनो देवीजी । अखबार में छपी खबर के अनुसार मुख्य आरोपी संजय का प्रेम सम्बन्ध एक लड़की से है जो अब ‘ाादीशुदा है । उस लड़की को पाने के लिये संजय ने यह खूनी खेल खेला ।
भाग्यलक्ष्मी- क्या ?
ब््राहमदत्त-हां संजय उस लड़की के प्रेम में पागल हो गया था । उसे पाने के लिये वह कुछ भी करने को तैयार था । वह खुद को मरा हुआ साबित करने के लिये चन्द्रशेखर को मार कर जला डला योगे और दूसरे साथी के साथ ।
भाग्यलक्ष्मी-बाप रे ऐसी साजिश ?
ब््राहमदत्त-संजय की योजना थी कि जब वह लोगों की नजरों में मरा हुआ साबित हो जायेगा तो वह उस लड़की को कही और बुला लेगा किसी को पता भी नही चलेगा कि संजय लेकर भाग गया । दुर्भाग्यवस चन्द्रशेखर दोस्त के झांसे में आ गया दोस्त संजय ने ‘ाराब में जहर मिलाकर हत्या करके पेट्रोल डालकर जला डाला ।
भाग्यलक्ष्मी-ऐसे दरिन्दें से चन्द्रशेेखर की दोस्ती कैसे हो गयी । दरिन्दें न पढ रहे थे और नही हास्टल में रह रहे थे । कैसे दोस्ती हो गयी । दोस्ती के नाम पर दरिन्दों ने कालिख पोत दिया । दोस्ती जैसे पाक रिश्ते को नापाक कर दिया ।
ब्रहमदत्त-संजय और योगेश किसी मोबाईल कम्पनी में काम करते थे ।मोबाईल के काम के सिलसिले मे चन्द्रशेखर को कई बार कम्पनी जाना पड़ा इसी दौरान दोस्ती हो गयी । दोस्तों ने दोस्ती के कैनवास पर लहू पोत दिये ।
भाग्यलक्ष्मी-चन्द्रशेखर दरिन्दों के झांसे में कैसे आ गया कि ब्याह से सीधे दरिन्दों के जाल में जा फंसा ।
ब्रहमदत्त-फोन करके बुलाया था ।
भाग्यलक्ष्मी-पूरा चक्रव्यूह रच कर दरिन्दों ने फाने किया होगा ।
ब्रहमदत्त-23 जनवरी की रात में संजय ने फोन किया था । रात के नौ बजे चन्द्रशेखर पहुंच गया ।दारू में जहर मिलाकर दरिन्दों ने पिला दिया । दारू पिलाने के बाद सरिये से सिर पीट डाले । इसके बाद तीसरे माले पर ले जाकर जला डाले । कंकाल के पास संजय अपना जूता छोड़कर फरार हो गया ।
भाग्यलक्ष्मी-ऐसा क्यों किया खूनी ।
ब्रहमदत्त-ताकि लोग समझे कि संजय की हत्या हुई है और नरकंकाल उसी का है ।
भाग्यलक्ष्मी-दिल दहला देने वाली साजिश । बाप रे आदमी अपना हित साधने के लिये कैसा हैवान हो जाता है यह तो संजय ने कर दिखाया। इससे तो पुलिस भी भ्रमित हो गयी होगी ।
ब्रहमदत्त- पुलिस भ्रमित तो हुई पर कुछ दिन के लिये । जब पुलिस को पता चला कि 23 जनवरी से संजय लापता है तब पुलिस का माथा ठनका और जांच का रूख बदल गया ।पुलिस चन्द्रशेखर के रिश्तेदारों से जांच पडताल करने में जुट गयी ।
भाग्यलक्ष्मी- आगे क्या हुआ बताओं ना ।
ब्रहमदत्त-चन्द्रशेखर के भाई ने कंकाल के दांत को पहचान कर चन्द्रशेखर होने की पुष्टि कर दी ।
भाग्यलक्ष्मी-एक चित्रकार के जीवन का अन्त कर दिया दरिन्दों ने । बेचारा चित्रों में रंग रंग भरते भरते बेरंग हो गया साजिश में फंसकर वह भी दोस्ती के नाम । भगवान ऐसे दरिन्दों को ऐसी जगह मारना कि रिरिक-रिरिक कर मरें दोस्ती जैसे पवित्र रिश्ते के कैनवास पर खून पोतने वाला संजय और उसके कत्ली दोस्त ।
ब्रहमदत्त-चन्द्रशेखर को गहरे रंगों से बहुत लगाव था । वह इन्ही रंगों से कैनवास पर खेलते खेलते जिन्दगी को उकेरता रहता था । बदकिस्मत संजय के जीवन का सारा रंग ढुल गया । जिन्दगी खत्म हो गयी बेचारे की बची है तो बस यादे ओर बूढे मां बाप की चीखे । जब हत्या के रहस्य से पर्दा उठा तो सहपाठी भी रो उठे ।
भाग्यलक्ष्मी-एक निरपराध चित्रकार के लहू से दोस्ती के क्ेनवास को रंगकर खूनियों ने घोर अपराध किया है वह भी एक ‘ाादीशुदा ओरत के लिये ।दरिन्दे को इतना ही प्यार था तो पहले ही ब्याह कर लेना था । भोले भाले मासूम चित्रकार की जान क्यों ले लिये ?
ब्रहमदत्त- विनाश काले विपरीत बुध्दि । कुबुध्दि ने हत्यारा बना दिया । दोस्ती के नाम पर धब्बा लगा दिया । बेचारा चन्द्रशेखर एक दिन पहले ही तो जिन्दगी को बेहतरीन ढंग से कैनवास पर उकेरा था । ये देखो चन्द्रशेखर की ही पेण्टिंग छपी है अखबार में । दो चार दिन पहले ही उसकी अव्वल दर्जे की पेण्टिंग दिल्ली में बीची थी । बहुत खुश तो भर दरिन्दों ने उसकी जिन्दगी में आग भर दी और मां को गम के समन्दर में ढकेल दिया ।
भाग्यलक्ष्मी-बहुत होनहार लड़का था । चन्दा बता रही थी कि पेण्टिग बनाते समय अक्सर -तड़प तड़प के इस दिल से आह निकलती रही गाना गाता रहता था । यही तड़प उसकी पेण्टिग को जीवन प्रदान करती थी ।
ब्रहमदत्त-ले ली दरिन्दों ने एक जीवन । उजाड़ दिया एक परिवार का सपना । छिन लिये बूढे मा बाप का सहारा । भर दिया आश्रितों की मुट्ठियों में आग ।
भाग्यलक्ष्मी-खूनी तो लील गये चन्द्रशेखर को पर दोस्त के चुनाव के जल्दीबाजी न करने की नसीहत भी दे गये । स्वार्थी,अपराधी एवं असामाजिक लोगों से दोस्ती का प्रतिफल तो दुखदायी ही होगा । स्वार्थ के ईंट पर टिकी दोस्ती की नींव कभी भी भरभरा कर गिर सकती है और इसके परिणाम भयावह हो सकते है । दोस्त बनाने से पहले बहुत सोच विचार करने की जरूरत अब आ पड़ी है । यदि असावधानी हुई संजय जैसे दरिन्दें मुट्ठी में आग भरने से तनिक भी नही चुकेगे ।
ब्रहमदत्त-चन्दा की मां आंसू पोछो । दरिन्दों ने तो बहुत बड़ा गुनाह किया है । इसकी सजा तो उन्हे जरूर मिलेगी । युवको को दोस्ती के कैनवास चन्द्रशेखर के लहू के निशान को ध्यान में रखते हुए सावधानी बरती होगी ताकि फिर कोई अमानुष संजय दोस्ती के पाक रिश्ते को नापाक न कर सके ।
भाग्यलक्ष्मी-भगवान चन्द्रशेख्र की आत्मा ‘ाान्ति बख्‘ाना । परिवार को आत्मबल और जिन्दगी के कैनवास पर सुनहरा रंग भरने की ‘ाक्ति देना । भगवान मुर्दाखोर दरिन्दों को ऐसी सजा देना कि फिर कभी दोस्ती जैसा रिश्ता बदनाम न होने पाये ।
ब्रहमदत्त-हां ठीक कह रही हो ऐ दरिन्दें कठोर से कठोर सजा के हकदार है । युवा पीढ़ी से भी गुजारिस है कि दोस्ती को स्वार्थ के तूफान से बचायें ताकि दोस्ती के कैनवास पर फिर कभी लहू के निशान न पड़ सके ।
डॉ नन्द लाल भारती
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