अरे वाह सावित्री क्या खूब सुन्दर बहू खोज कर लायी है,बहुत सुंदर जोड़ी है, भगवान बुरी नज़र से बचाना।नरेश, बेटवा वैभव की पढ़ाई के लिए कर्ज लेता रहा, आखिरकार मकसद में कामयाब हो गया । बहू भी सुंदर ढूंढ लाया। जैसे सवित्री घर परिवार संभाली है, वैसे ही तुम भी संभाल कर रखना बहूरानी भले ही शहर की हो शहर में रहना।तुम्हारी सास कोई कम नही है दरोगा की बेटी है, पर पूर गाँव की बहुओं में सवित्र को अव्वल दर्जा हासिल है, सावित्री की गद्दी बहुरानी तुम्हे संभालना है ।बधाई हो सावित्री सच मे बहुत सुन्दर बहू है।
हां दादी अम्मा क्यों नहीं रखेगी घर परिवार का मान, घर परिवार को त्याग कर जीना कोई। जीना नही होता।परिवार के साथ जो सुख है, अकेले में नही सावित्री बोली।
दान दहेज तो अच्छा मिला होगा दादी अम्मा पूछ बैठी।
दादी अम्मा दिल दुखाने की क्यों कर दी आप तो जानती है वैभाव को उसूल पसंद है ।खुद से वादा किये थे बिना दहेज की शादी करने की और ले आये बहुरानी को। दादी अम्मा दहेज़ की रकम से तो जीवन बीतने वाला नहीं ।एक बाप अपने कुल की इज्ज़त सौंप देता है, क्या यह दान कम है।
यह तो हर बाप को करना पड़ता है।तुम्हारे समधी ने कौन सा इतिहास रच दिया दादी अम्मा बोली।
अनुष्का ही हमारे परिवार के लिये बेटी है, बहू है और दुनिया की सबसे बड़ी दौलत भी ,हमे दहेज़ नहीं चाहिए सावित्री बोल ही रही थी कि इतने में नई नवेली दुल्हन अनुष्का बोली हमे भी मिलेगा।
अब कब मिलेगा दादी अम्मा बोली।
पापा कह रहे थे जब तुम और दमाद जी शहर में सेटल हो जाओगे तब अनुष्का बोली ।
क्या........? अचंभित होकर दादी अम्मा बोली।
हाँ दादी अम्मा ।
सावित्री सुना रही है तुम्हारी बहूरानी क्या कह रही हैं।
क्या दादी अम्मा ? सावित्री बोली।
तुम्हारे समधी ने तुम्हारी बहू अनुष्का के कान में तुमसे अलग होने का मंत्र फूंक कर बेटी विदा किया है।
क्या कह रही हैं दादी अम्मा ।
ठीक कह रही हूँ। तुम्हारे समधी की नियति में खोट हैं, तुम्हारा घर परिवार आबाद होने से पहले ही तुम्हारे समधी ने बर्बादी का मंत्र अपनी बिटिया के कान में फूंक दिया है।
इतना सुनते ही सावित्री बोली है ।जीवन भर की तपस्या भंग हो गई हे भगवान ये किस गुनाह की सजा और धड़ाम से गिर गई चारों खाना चित।
डॉ नन्दलाल भारती
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