Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

पागल आदमी

 

 

रंजू के पापा दफ्तर से आ रहे हो ना…… ?
कोई शक भागवान ………?
शक कर नरक में जाना है क्या। ....?
हुलिया तो ऐसी ही लग रही है जैसे पागल कुत्ता पीछे पड़ा था।
कयास तो ठीक है।
कहाँ मिल गया।
वही जहां उम्र का मधुमास पतझड़ हो गया।
मतलब।
दफ्तर में।
मजाक के मूड में हो क्या …?
नहीं असलियत बयान कर रहा हूँ। तीन दिन -रात एक कर दफ्तर शिफ्ट करवाया। उच्च अधिकारी छुट्टी पर या दौरे पर चले गए। मजदूरी और गाड़ी के भाड़े का भुगतान मुझे ही करना पड़ा जेब से उसी भुगतान पर अपयश लग गया।
ईमानदारी और वफादारी पर अपयश ?
जी भागवान छोटा होने का दंड मिलता रहां है। इसी भेद ने उम्र का मधुमास पतझड़ बना दिया।
अपयश कैसे लग सकता है।
लग गया भागवान।
कौन लगा दिया।
वही पागल आदमी जो उच्च ओहदेदार बनने के लिए दो खानदानो की इज्जत दाव पर लगा दिया अब पद के मद में पागल कुता हो रहां है।
रंजू के पापा पद के मद में पागल आदमी हो या पागल कुत्ता दोनो की मौत भयावह होती है। संतोष रखिये ।

 

 

डॉ नन्द लाल भारती

 

 

 

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ