लघुकथा : पति उत्पीड़न
कान्ति भाई तुम्हारी बहू हाथ पर बहुत बड़े अक्षरों में क्या गुदवा रखा है।
रतन भैया-गोदना गुदवा रखी होगी। हमने तो बहू का हाथ गौर से नहीं देखा आज तक।
तुम तो शराफत की जीती जागती मूर्ति हो पूरा गांव उसके फरेब को जान गया तुम उसके हाथ पर गुदे गोदने -आई लव माई मदर नहीं पढ़ पाये । यार इतना सरल और सहज बनना भी अच्छी बात नहीं है। बहू है कि बाहर गेट पर खड़ी होकर झूठे बचाओ... बचाओ चिल्ला रही है।देखो घर भर मिलकर हमें और बाबू को मार रहे है ऐसी गुहार लगा रही है। पुलिस बुलाने की धमकी दे रही थी पूरे परिवार को जेल भेजवा रही थी,इतना बुरा बर्ताव गांव मे कर रही है तो शहर में बचवा के साथ कैसा भयावह बर्ताव करती होगी ?
कान्ति-भैया बहू की क्या गलती दूं असली गुनाहगार तो बहू के मां-बाप है।पारिवारिक संस्कार ही नहीं दिये। बहुत बड़ा फरेब रच दिये हैं बचवा के ससुराल वाले । जिन्दगी का चैन बहू ने छिन लिया है।
तुम तो बहुत बुरे फंसे हो दोस्त ।विवाहिता अपनी पति के नाम का गोदना गोदवाती हैं, तुम्हारे यहां तो उल्टी गंगा बह रही है।समझ गया, मां बाप के प्यार मे पागल बहू बचवा को घर परिवार से दूर कर उसकी कमाई मायके के उत्थान पर पानी की तरह बहा रही है यही सच है ना । बचवा विरोध करता है तो टार्चर करती है हगामा करती है।पुलिस बुलाती है पड़ोसियों को बुलाती है नारी उत्पीड़न का ढिढोरा पीटती है।
तुमसे क्या छिपा है कान्ति भैया ?
रतन तुम्हारी बहू की करतूतों को देखकर पति उत्पीड़न और सास-ससुर के उत्पीड़न का केस बनता है कान्ति बोला।
डां नन्द लाल भारती
14/03/2022
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