नवजवान दूध की बोतल लेकर जल्दी मे कोच नम्बर एस आठ मे दाखिल हुआ,इधर उधर निगाह मारा।एकदम से मुझसे बोला पेन दीजिये ।
मैंने थमा दिया।
पढा लिखा गंवार दूध की बोतल खोलने के लिए पेन से जबर्दस्ती करने लगा।
मैंने कहा पेन टूट जाएगी।
नवजवान गुरेरते हुए बोला क्या कीमत है ?
तुम नहीं खरीद सकते।
इतने मे अनपढ़ आदिवासी प्रेमसिंह बोला तुम क्या जानो पेन की कीमत भ्रमित जवान......... क्यों सही कहा न भगवान।
डां नन्द लाल भारती
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