कविता: प्राणायाम
मुझे जानते हो ना
मै तब भी तुम्हारे साथ था
जब ये रसायनिक दवाईयां नहीं थी
तुम दिखावे मे इतने भूल गए
हमें क्या तुम खुद को भूल गए
मुझे याद है याद रहेगा
मुझे तुम्हारी चिन्ता है
यह कोरोना काल है और
मैं हूँ प्रणायाम......।
कोरोना ने मौत का दंगल शुरू कर दिया है
बहुत से लोग इस दंगल मे हार चुके हैं
तुम नहीं......
डां का करो अनुसरण
प्राणायाम की लो शरण
यही करेंगे जीवन का संरक्षण
प्राणायाम से तन का बढ़ता है
आक्सीजन भरपूर
मन को मिलता है यकीनन सकूं
ये सदियों पुराने नुस्खे है
करो यकीन..................
शुरू करो प्राणायाम
लेकर परमात्मा का नाम
दवाई भी करेगी असर जोरदार
होगा जब प्राणायाम का प्रहार........
भस्त्रिका से करिए शुभारंभ
कपालभाति और अनुलोम-विलोम का
अभ्यास करें बार
ना कोई समय सीमा ना कोई उम्र का
प्रतिबंध
समम अनुसार करिये निरन्तर........
प्राणायाम तो और भी है
बाह्य, भ्रामरी, उदगीथ उज्जयी,कर्णरोगान्तक
और भी
नहीं कर सकते ये प्राणायाम सारे
अनुलोम-विलोम करिए अजीज हमारे.......
जितना ज्यादा प्राणायाम,
उतना अधिक स्वास्थ्य लाभ
अनुलोम-विलोम संग दवा के डोज
कर देगें रोग का निदान
साथ मे हो जायेगा सोने पर सुहागा
कर लिया कुछ मिनट का ध्यान
कोरोना काल है
आक्सीजन का शरीर में स्तर बढाना है,
जीवन बचाना है
डां साहब की सलाह और दवाई के साथ
प्राणायाम का भी
अब डोज सुनिश्चित कीजिए श्रीमान.....
हिम्मत और रखिए पूरा विश्वास
औरों का भी बढाइये
डर नहीं अपने पर रखिये विश्वास
जीवन तो आशा है, बनाए रखिये आस
आप विजेता हैं और रहेंगे
ये अदृश्य दुश्मन हो जायेगा
विदा..... सदा के लिए
ये गुलशन महक उठेगा
खुशियां बरसेगी
नहीं.. बिल्कुल नहीं हिम्मत हारना......
रखिए खुद पर अटूट विश्वास
कोरोना की छाती पर होगा प्रहार
मुस्कराइए जनाब
प्राणायाम है, दवाई है, वैक्सीन है
डां का सलाह और उपचार
लिख देगें कोरोना की छाती पर
जीत की गाथा
यही है विश्वास और आस्था.....
डां,नर्स जीवन रक्षको को करें
सलाम,
कोरोना काल है बचकर रहिए
जारी रखिये प्राणायाम..
डां नन्द लाल भारती
07/05/2021
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