Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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राजा की चिन्ता

 

राजा किसी सल्तनत का नवाब नहीं है
एक मामूली सा गाय का बछड़ा है
नाम है राजा,
एक वक्त था जब ऐसे राजा
खेत, खलिहान और दरवाजे की
शान हुआ करते थे
जिनके श्रम से उपजे अन्न पर
पलता था देश
लोग राजाओं की पीठ थपथपा कर
अपनी मूंछ तक ऐंठते थे
मशीनों की घुसपैठ क्या हो गई
राजाओं का जीवन खतरे में पड़ गया
राजाओ की एक पूरी पीढ़ी की
बोटी बोटी हो चुकी है
नई पीढ़ी पर चोर निगाहें टिकी हुई हैं
कम उम्र के राजा भेलख पड़ते ही
गायब हो जाते है रात के अंधेरे में
जिनका सुराग फिर कभी नही मिलता
लगेगा भी कैसे ?
बना दी जाती है उनकी मनचाही बोटियां
मेरे राजा यानि गाय के बछड़े पर भी
चोर निगाहें बिछी रहती है
शरीर से अक्षम पिता
रात के अंधेरे के खौफ़ से
पीटते रहते है लाठी
राजा की पहरेदारी में
ऐसे ही राजाओं के बल पर
खड़ा हुआ था कुटुंब
घर के दूसरे सदस्य भी करते है
राजा की चौकीदारी
राजा न बन पाए
किसी चोर का शिकार
राजा कुटुम्ब का है रुआब
कुटुम्ब बचाने में जुटा रहता है
राजा को बनने से बिरयानी, मसाला मटन,
टिक्का या कबाब।।।।।

 


डॉ नन्दलाल भारती

 

 

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