Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

रंग बदलते आदमी ने

 

 

रंग बदलते आदमी ने
वक्त का रंग बदल दिया ,
भगवान गॉड या
कहे खुदा की खैर
बची है ज़िन्दगी
नरपिशाचो के बुने जाल
जातिवाद महंगाई,भष्ट्राचार से
सहमी सहमी सी
बित रही है ज़िंदगी। …।

 

 


डॉ नन्द लाल भारती

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ