Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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संवाद

 

करना चाहता हूँ संवाद की खेती ,
दे सके ऊर्जा जो
दमित को उठ खड़ा होने की ,
लूटी नसीब सवारने की
हक़ की हुंकार की ………… ,
ताकि बो सके सपने
चल सके निर्भीक
समय के समय के संग
निखर उठे सदियो से
कुम्हिलाया रंग ................
अभिलाषा है यही जीवन की
समय से संवाद दमितहित में बस
यही उम्मीद लिए
संवाद के बीज बो रहा हूँ। .............

 

 


डॉ नन्द लाल भारती

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