अरे जशोदा तुम लड़की देख रही हो ?
हां दीदी दीपा बोली।
तुम्हारे जैसी एक गुणवन्ती लड़की रतन के पापा बता रहे हैं, अच्छे परिवार की है बहुत पढी लिखी मास्टरनी है कहो तो रतन के पापा बात आगे बढ़ाये समुन्दरा बोली ।
समुन्दरा दीदी बेटवा का ब्याह तो करना है। रही बात बहुत पढ़ी लिखी की तो दीदी आप बताओ ऐसी बहू लाकर क्या करेंगे जशोदा बोली ?
जशोदा जो बहू का फर्ज होता है करेगी समुन्दरा बोली ।
वही तो नही कर रही जशोदा बोली ।
ऐसी बहू की क्या जरूरत समुन्दरा बोली ?
बहू तो ऐसी पारिवारिक और सांस्कारिक मिल गई हैं कि रक्त के आंसू बह रहे हैं। अपने अधिक पढी लिखी होने का धौंस जमाती है, मुंह खुला ही नहीं कि मुंह बन्द करवा देती है कहती मैं भी पढी लिखी हूं सब समझती हूँ, पानी पी-पीकर जो जोड़ी हूँ वह साथ तो नहीं ले जाऊंगी, भोग विलास तो उनको ही करना है।बहू ने तो जीवन मे दर्द भर दिया है।पारिवारिक रिश्ते मे जहर घोल रही है । पति की कमाई और ससुराल की दौलत लूटकर मां बाप को दौलतमंद कैसे बनाये बस इसी तिकड़मबाजी मे लगी रहती है, पति को एक टाइम की रोटी भी सकून से खाने नहीं देती। नेकी का इतना बड़ा दण्ड ?
ऐसी बहूयें नहीं होती ? ये तो किसी ठग की महाठगिनी बेटी है ।बहुयें तो पति और ससुराल की सलामती पहले चाहती हैं पर तुम्हारी शहरी बहू तो खुद के पैर कुल्हाड़ी मार रही है समुन्दरा दीदी बोली ।
जशोदा पल्लू से आंख साफ करते हुए बोली दीदी परमात्मा ना जाने किस गुनाह की सजा दे रहे हैं। हम बिना दहेज की शादी किए थे उसके बदले इतना बड़ा फरेब ।
नेकी की जड़ में गरम पानी डालने वाले नमक के बर्तन की तरह गल जाते हैं । जशोदा बहन चिंता ना कर तुमने नेक काम किया है हो सकता है परमात्मा कुछ और अच्छा करने वाला हो मन छोटा ना करो समुन्दरा दीदी बोली।
दीदी इसी आशा मे आंसू पीये जा रही हूँ ।सजातीय बहू ने तो रोवन रोटी कर दी है, अरेंज मैरिज वह भी बिना किसी दहेज के कर अपराध बोध में हम जी रहे हैं । अब अपनी पसंद नहीं बेटवा की पसंद की शादी करूंगी दीदी।
वाह रे जशोदा.... चाहे जाति की हो या परजाति की कहते हुए समुन्दरा दीदी पांव पटकते हुए उठी और रास्ता नापते हुए बोली शुभकामनाएं जशोदा ।
नन्द लाल भारती
29/04/2022
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